Hindu New Year 2024 Date: हिंदू नववर्ष आज, विष्णु ने चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को रचा ब्रह्मांड और विक्रमादित्य ने दी पहचान
Vikram samvat 2081: ब्रह्मांड पुराण में दिया गया है कि विष्णु जी ने ब्रह्मा जी को संसार बनाने का काम दिया. जब सृष्टि बन रही थी तब चैत्र मास की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि थी. धार्मिक और शुभ कार्यों को इसी दिन किया जाना शुभ होता है.आज है हिंदुओं का नववर्ष.
Hindu Nav Varsh 2024 Date: हिंदू परंपरा में नया साल 1 जनवरी नहीं होता है बल्कि हिंदू पंचांग के अनुसार चैत्र माह से नये साल की शुरुआत होती है. हिंदू परंपरा में नव संवत्सर को नववर्ष के रूप मानाया जाता है जो कि आज 9 अप्रैल 2024 को है. ब्रह्मांण पुराण में बताया गया है कि विष्णु जी ने जब सृष्टि की रचना करने का कार्य ब्रह्मा जी को सौंपा तब ब्रह्मा जी ने यह पूरी सृष्टि बनाई. जब यह सृष्टि बनाई जा रही थी तब चैत्र मास की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि थी और इस तरह इस तिथि पर ही नववर्ष बनाए जाने का विधान है. धार्मिक कार्यों को इस दिन किया जाना शुभ माना जाता है.
इस बार कब है हिंदू नववर्ष है?
हिंदू नववर्ष पंचांग को देखने पर पता चलता है कि चैत्र माह की शुक्ल पक्ष प्रतिपदा तिथि इस साल 9 अप्रैल 2024 को मंगलवार को पड़ रहा है. विक्रम संवत पर आधारित कैलेंडर के अनुसार भारत की काफी जनसंख्या चैत्र मास की शुक्ल प्रतिपदा को अपना नया साल मनाती है और किसी भी शुभ कार्य को भी शुरू करते हैं. विक्रम संवत पर आधारित कैलेंडर के मुताबिक हिन्दू नववर्ष को हिंदू नव संवत्सर या नया संवत के रूप में भी जाना जाता है.
हिंदू विक्रम संवत अंग्रेजी कलेंडर से 57 साल आगे
9 अप्रैल 2024 को मंगलवार के दिन इस बार चैत्र शुक्ल पक्ष प्रतिपदा पड़ रहा है जो कि विक्रम संवत 2081 होने वाला है और फिलहाल हिंदू विक्रम संवत 2080 (Vikram Samvat 2080) चल रहा है, इस तरह विक्रम संवत 2081अंग्रेजी कैलेंडर का साल 2024 से 58 साल आगे है.
कारण जान लीजिए
विक्रम संवत 2081 आते ही अंग्रेजी कैलेंडर 58 साल पीछे रहने वाला है और ऐसा ही होता है लेकिन सवाल ये है कि ऐसा क्यों होता है. दरअसल, विक्रम संवत भारत के सुप्रसिद्ध राजा विक्रमादित्य ने शुरू किया था. इसी के साथ अपने साम्राज्य की जनता के साभी कर्ज को भी उन्होंने क्षमा कर दिया था. इस दिन जनता का उन्होंने बड़ी राहत दी थी. हर वर्ष चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से विक्रम संवत प्रारंभ होता है. गणितीय रूप में इसे एकदम सटीक काल गणना माना गया है. विक्रम संवत को राष्ट्रीय संवत भी माना जाता रहा है.
विक्रम संवत कैलेंडर की गणना
विक्रम संवत आज भी भारतीय पंचांग और काल तय करने का एक बड़ा आधार है जो वैज्ञानिक रूप से काल गणना पर बना हुआ है.
विक्रम संवत विक्रम संवत में महीने चैत्र से प्रारम्भ होते हैं और 354 दिन में खत्म होते हैं. शेष बढ़े हुए 10 दिन अधिमास में गिन लिए जाते हैं.
ज्योतिष काल की गणना पर ध्यान दें तो 27 नक्षत्रों का वर्णन है. एक नक्षत्र महीने में 27 ही दिनों की संख्या भी मान ली जाती है.
वहीं सावन वर्ष में लगभग 360 दिनों की संख्या होती है, मास के दिन 30, हालांकि अधिमास के 10 दिन चन्द्रवर्ष का हिस्सा है पर इसको चंद्रमास की जगह अधिमास कहा जाता है.
चैत्र महीने में ही क्यों नववर्ष
ब्रह्म पुराण के अनुसार चैत्र शुक्ल पक्ष प्रतिपदा को ही सृष्टि बनाई गई. चैत्र माह की शुक्ल पक्ष प्रतिपदा के दिन लगभग 1 अरब 14 करोड़ 58 लाख और 85 हजार 123 साल पहले सृष्टि बनी, इसलिए हिंदू नववर्ष इसी दिन मनाते हैं.
दूसरी बात ये कि अपने नाम से विक्रमादित्य ने संवत्सर की शुरुआत भी चैत्र शुक्ल पक्ष प्रतिपदा तिथि पर की थी. हिंदू नववर्ष को विक्रमी संवत्सर के रूप में भी जाना जाता है.
इस साल विक्रम संवत के 2080 वर्ष पूरे हो रहे हैं व विक्रम संवत 2081 शुरू हो रहा है.
हिंदू धर्म में चंद्रमा व सूर्य की पूजा की जाती है. चैत्र माह में चंद्रमा की कला का पहला दिन होता है जिसके कारण इसी तिथि पर नववर्ष मनाते हैं.
शक्ति और भक्ति के नवरात्र की पहली तिथि भी चैत्र महीने की शुक्ल पक्ष से ही शुरू हो जाती है.
हिंदू कैलेंडर के 12 महीनों के नाम
नव संवत्सर या विक्रम संवत से हिंदू कैलेंडर की शुरुआत होती है जिसमें 12 महीने होते हैं जो चैत्र माह से शूरू होते हैं. आइए इनके नाम जान लें.
हिंदू कैलेंडर के 12 माह-
चैत्र, वैशाख, ज्येष्ठ
आषाढ़, श्रावण, भाद्रपद
आश्विन, कार्तिक, मार्गशीर्ष
पौष, माघ और फाल्गुन
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