Papankusha Ekadashi 2024: आज पापांकुशा एकादशी है. इस मौके पर सनातन धर्म में व्रत रखने की परंपरा है. ऐसे में गंगा घाटों पर सुबह से ही भक्तों का तांता लगा हुआ है. भक्त गंगा में आस्था की डुबकी लगाने के लिए पहुंचे. प्रयागराज के संगम घाट पर सुबह सेवेरे भक्तों का सैलाब उमड़ा. दरअसल, आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को पापांकुशा एकादशी कहा जाता है. यह दिन भगवान विष्णु को समर्पित है. पाप पर अंकुश लगाना पापांकुशा का अर्थ है. मान्यता है कि इस दिन व्रत रखने से भक्तों को जीवन भर में किए गए सभी पापों से मुक्ति मिलती है. 


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पापांकुशा एकादशी का शुभ मुहूर्त
13 अक्टूबर यानी आज सुबह 09 बजकर 08 मिनट से पापांकुशा एकादशी की तिथि शुरू हो रही रही है और 14 अक्टूबर को सुबह 6 बजकर 41 मिनट पर इसका समापन होगा. इस व्रत के पारण की बात करें तो 14 अक्टूबर को सुबह 6 बजकर 22 मिनट से 8 बजकर 40 मिनट तक इसका पारण किया जाएगा.


जानें पापांकुशा एकादशी पूजन विधि 
इस दिन गरुड़ पर विराजमान भगवान विष्णु के दिव्य रूप की पूजा करने की मान्यता है. इस दिन सुबह उठकर स्नानादि करने से निवृत्त होकर व्रत का संकल्प लेने की परंपरा चली आ रही है. हिंदू मान्यताओं के मुताबिक, स्नानादि के बाद कलश की स्थापना करके उस पर भगवान विष्णु के स्वरूप भगवान पद्मनाभ की प्रतिमा रखें. अगर उनकी प्रतिमा न हो तो उनकी तस्वीर भी रख सकते हैं और अगर तस्वीर भी ना हो तो भगवान विष्णु की प्रतिमा या तस्वीर रखकर पूजा कर सकते हैं. प्रतिमा को पंचामृत और फिर गंगाजल से स्नान कराकर, चंदन से तिलक करें और नैवेद्य अर्पित करें. फिर फल-फूल अर्पित करें. इसके बाद धूप-दीप से आरती करें. पूजा के दौरान भगवान विष्णु सहस्त्रनाम स्त्रोत्र का पाठ करें. फिर पापांकुशा एकादशी व्रत की कथा जरूर सुनें या पढ़ें.


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Disclaimer: यहां बताई गई सारी बातें धार्मिक मान्यताओं पर आधारित हैं. इसकी विषय सामग्री और एआई द्वारा काल्पनिक चित्रण का जी यूपीयूके हूबहू समान होने का दावा या पुष्टि नहीं करता.