चार दिवसीय छठ पूजा का हर दिन होता है खास, इन चीजों को शामिल किये बिना अधूरी रह जाती है पूजा

Chhath Puja Samagri: चार दिनों तक चलने वाला छठ महापर्व में पूजा की विशिष्ट सामग्री का बहुत महत्व होता है. अगर पूजा में सभी जरूरी और प्रचलित सामग्रियां न हों तो छठी मैया की पूजा अधूरी मानी जाती है. आइये आपको बताते हैं छठ पूजा में कौन-कौन सी चीजें शामिल की जाती हैं.

प्रदीप कुमार राघव Thu, 31 Oct 2024-5:21 pm,
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नहाय-खाय

पहले दिन व्रती गंगा या किसी पवित्र नदी में स्नान करते हैं और सात्विक भोजन ग्रहण करते हैं. यह दिन शरीर और मन की शुद्धि का प्रतीक माना जाता है.

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खरना

दूसरे दिन व्रती केवल शाम को विशेष प्रसाद (गुड़ की खीर, रोटी) का सेवन करते हैं. खरना का प्रसाद बेहद पवित्र माना जाता है और इसे व्रत के पूर्ण संकल्प के साथ ग्रहण किया जाता है.

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संध्या अर्घ्य

तीसरे दिन व्रती डूबते सूर्य को अर्घ्य अर्पित करते हैं. इसे सूर्य देवता के प्रति आभार और समर्पण का दिन माना जाता है, जिसमें सूर्यास्त के समय जल में दीप जलाए जाते हैं.

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उषा अर्घ्य

चौथे दिन उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ पर्व का समापन होता है. यह दिन नए सवेरा, नई ऊर्जा और संतान सुख की प्राप्ति का प्रतीक है. इस दिन पूजा के बाद सभी को प्रसाद वितरित किया जाता है.

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छठ प्रसाद की सामग्री

छठ में प्रसाद के लिए विशेष सामग्री का प्रयोग होता है जैसे ठेकुआ, पुआ, मालपुआ, खीर-पूड़ी, चावल के लड्डू, आदि. यह प्रसाद परंपराओं और श्रद्धा का प्रतीक है.

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फल एवं सब्जियां

नारियल, सेब, केला, गन्ना, मूली, सिंघाड़ा जैसे फल और सब्जियां पूजन में अनिवार्य हैं. ये सामग्री प्राकृतिक उन्नति और संतुलन का प्रतीक मानी जाती हैं. इन चीजों का पूजा में शामिल किया जाना दर्शाता है कि हम प्राकृतिक वनस्पतियों के प्रति कितने कृतज्ञ हैं. 

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शुद्ध जल और तांबे का लोटा

जल और तांबे का लोटा शुद्धि और पवित्रता का प्रतीक है. इसे सूर्य देव को अर्घ्य देने में महत्वपूर्ण माना जाता है. माना जाता है कि अर्घ्य देते समय जल के आरपार सूर्य को देखने से आंखों की रोशनी में लाभ होता है. 

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श्रृंगार सामग्री

पूजा के दौरान सिंदूर, कुमकुम, चंदन, और शृंगार की अन्य सामग्री का विशेष महत्व है. यह महिलाओं की श्रद्धा और परंपरा को दर्शाता है. स्नानदि के बाद पूजा से पहले इन चीजों का श्रृंगार सात्विक माना जाता है. 

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बांस की टोकरियां

छठ पूजा का सामान और प्रसाद बांस की टोकरी और सूप में रखा जाता है, जिससे यह पर्यावरण के साथ हमारी गहरी निष्ठा का प्रतीक बनता है. कुल मिलाकर छठ महापर्व सूर्य और प्राकृतिक वनस्पतियों की पूजा-अर्चना का दिन है.

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Disclaimer

यहां बताई गई सारी बातें धार्मिक मान्यताओं पर आधारित हैं. इसकी विषय सामग्री और एआई द्वारा काल्पनिक चित्रण का जी यूपीयूके हूबहू समान होने का दावा या पुष्टि नहीं करता.

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