Chhath Puja 2024: महापर्व छठ के तीसरे दिन क्यों देते हैं डूबते हुए सूरज को अर्घ्य, जानें इसके पीछे की मान्यता

Chhath Puja 2024: हिंदू धर्म में उगते हुए सूर्य को तो हर कोई जल देता है, लेकिन छठ पूजा के दौरान तीसरे दिन डूबते हुए सूर्य को भी अर्घ्य दिया जाता है. जानते हैं कि छठ पूजा पर डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य देने के पीछे क्या मान्यता है.

प्रीति चौहान Nov 06, 2024, 08:11 AM IST
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छठ 2024

 छठ का पर्व उत्तर प्रदेश और अन्य राज्यों के साथ-साथ विदेशों में भी मनाया जाता है. यह पर्व कार्तिक शुक्ल षष्ठी को मनाया जाता है. छठ पूजा के दौरान महिलाएं भगवान सूर्य और छठी माई से अपने परिवार की समृद्धि और संतान की दीर्घायु की प्रार्थना करती हैं. इस दौरान बहुत से कड़े नियम हैं जिनका पालन करना जरूरी होता है.

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चार दिवसीय छठ का पर्व

चार दिवसीय छठ का पर्व सूर्य देव और छठी मैया को समर्पित होता है. हर साल छठ पूजा का आरंभ कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि से हो जाता है और सप्तमी तिथि पर इसका समापन होता है.

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छठ महापर्व

यह पर्व दीपावली के कुछ दिन बाद आता है. पहले दिन नहाय-खाय की परंपरा के साथ इस पर्व की शुरुआत होती है और दूसरे दिन खरना की रस्म पूरी की जाती है. छठ महापर्व खासतौर पर बिहार, झारखंड और पूर्वी उत्तर प्रदेश में मनाया जाता है.

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डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य

छठ पूजा के तीसरे दिन यानी कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि पर डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है.  इसका बाद चौथे दिन सप्तमी तिथि को उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देकर छठ पर्व का समापन हो जाता है.

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उगते हुए सूरज का अर्घ्य

हिंदू धर्म में उगते हुए सूरज को तो हर कोई जल या अर्घ्य देता है, लेकिन छठ पूजा के दौरान तीसरे दिन डूबते हुए सूर्य को भी अर्घ्य दिया जाता है। 

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क्या आप जानते हैं

क्या आप जानते हैं कि इसके पीछे क्या मान्यता है? आइए हम आपको बताते हैं कि छठ पूजा पर डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य देने के पीछे क्या मान्यता है। 

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छठ पर्व के 4 दिन

छठ पूजा- पहला दिन, 5 नवंबर 2024- नहाय खाय छठ पूजा- दूसरा दिन, 6 नवंबर 2024- खरना छठ पूजा- तीसरा दिन, 7 नवंबर 2024- डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य छठ पूजा- चौथा दिन, 8 नवंबर 2024- उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देकर व्रत का पारण  

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क्यों देते हैं डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य?

कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि पर डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है.  इस दिन शाम को किसी तालाब या नदी में खड़े होकर व्रती डूबते हुए सूर्य देव को अर्घ्य देते हैं. इसके पीछे यह मान्यता है कि डूबते समय सूर्य देव अपनी दूसरी पत्नी प्रत्यूषा के साथ में होते हैं.  इस समय अर्घ्य देने से जीवन में चल रही हर समस्या दूर हो जाती है.

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डूबते सूरज को अर्घ्य देने का मुख्य कारण

ऐसा कहा जाता है कि डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य देने से जीवन में संतुलन, शक्ति और ऊर्जा बनी रहती है. डूबते सूरज को अर्घ्य देना यह दर्शाता है कि जीवन में हर उत्थान के बाद पतन होता है, और हर पतन के बाद एक नया सवेरा होता है.

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डिस्क्लेमर

यहां दी गई सभी जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. Zeeupuk इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.

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