Chhath Puja 2024: सूनी गोद भी भर देती है छठी मैया, छठ पूजा पर करें ये विशेष उपाय, भर जाएगी झोली

यूपी, बिहार समेत देश के कई हिस्सों में में छठ पूजा का बड़ा महत्व है. मान्यता है कि इस महापर्व के दौरान जो भी मुराद मांगी जाती है, वह अवश्य ही पूर्ण होती है. ऐसे में जिनकी संतान नहीं होती है, उनको इस दौरान कुछ खास उपाय करने की सलाह दी गई है. वह उपाय क्या है जानिए.

पूजा सिंह Sat, 02 Nov 2024-2:03 pm,
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Chhath Puja 2024: यूपी, बिहार समेत देश के कई हिस्सों में में छठ पूजा का बड़ा महत्व है. मान्यता है कि इस महापर्व के दौरान जो भी मुराद मांगी जाती है, वह अवश्य ही पूर्ण होती है. ऐसे में जिनकी संतान नहीं होती है, उनको इस दौरान कुछ खास उपाय करने की सलाह दी गई है. वह उपाय क्या है जानिए.

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छठ पूजा से जुड़ी आस्था

ऐसा मानना है कि छठ पूजा पर्व नहीं बल्कि लोगों की भावनाओं का समावेश है. ये पर्व भारत के कई हिस्सों में बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है. खासतौर पर यूपी, बिहार और झारखंड जैसे राज्यों में छठ पूजा को महापर्व के रूप मे मनाया जाता है. 

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भगवान की आराधना

छठ पूजा एकमात्र ऐसा पर्व है, जिसमें प्रत्यक्ष रूप से भगवान की आराधना की जाती है. इसलिए इस पर्व में मांगी गयी मुराद जरूर पूरी होती है. ऐसे में ज्योतिष के जानकार संतान की प्राप्ति के लिए छठ पूजा में विशेष उपाय करने की सलाह देते हैं.

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कब है छठ महापर्व?

ज्योतिष के जानकार की मानें तो चार दिनों तक चलने वाले इस पर्व की शुरुआत 5 नवंबर नहाय खाय के साथ होगी. 6 नवंबर को खरना का प्रसाद है. वहीं, 7 नवंबर को ढलते सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा. इसके बाद 8 नवंबर को उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ ही पर्व का समापन होगा.

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36 घंटे निर्जला उपवास

छठ पूजा में भगवान सूर्य और माता षष्ठी की पूजा आराधना की जाती है. इस पर्व में प्रत्यक्ष रूप से भगवान सूर्य की आराधना की जाती है. साथ ही व्रती संतान सुख, रक्षा, समृद्धि के साथ ही घर परिवार की सुख समृद्धि के लिए 36 घंटे के निर्जला उपवास पर रहती हैं.

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संतान प्राप्ति के लिए उपाय

यह व्रत बेहद कठिन होता है. जिन महिलाओं की संतान नहीं हैं, वह संतान प्राप्ति के लिए छठ पूजा में नहाय खाय के साथ ही विशेष नियम विधि के साथ पूजा आरम्भ करें और अगले दिन खरना का प्रसाद ग्रहण कर 36 निर्जला उपवास में रहें.

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दंडव्रत होकर जाएं छठ घाट

संध्या अर्घ्य के दिन व्रती के घर से छठ घाट तक दंडव्रत होकर जाएं और ढलते सूर्य को ताम्बे के लौटे से अर्घ्य प्रदान करें और पुनः अगले दिन उदित दंड देते हुए छठ घाट तक जाएं और अपनी संतान प्राप्ति की मनोकामना लिए उगते सूर्य को अर्घ्य दें.

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संतान की प्राप्ति

उगते सूर्य को अर्घ्य देते समय उन्हें निहारते रहें और संतान प्राप्ति की प्रार्थना करें. ऐसी मान्यता है कि छठ पूजा के दौरान ऐसा करने से एक साल के अंदर निश्चित संतान की प्राप्ति हो जायेगी.

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डिस्क्लेमर: यहां बताई गई सारी बातें धार्मिक मान्यताओं पर आधारित हैं. इसकी विषय सामग्री और एआई द्वारा काल्पनिक चित्रण का जी यूपीयूके हूबहू समान होने का दावा या पुष्टि नहीं करता.

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