Govardhan Puja 2024 Date: गोवर्धन पूजा कब, जानें पूजा विधि और शुभ मुहूर्त, क्यों अन्नकूट पूजा के बिना अधूरी है दिवाली
Govardhan Puja 2024 Date: पांच दिवसीय दीपावली के चौथे दिन गोवर्धन महाराज की पूजा की जाती है. हर वर्ष यह त्योहार कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को मनाया जाता है लेकिन इस बार इस त्योहार की तारीख को लेकर कुछ असमंजस है. आइये आपको बताते हैं इस वर्ष गोवर्धन पूजा की सही तारीख, महत्व, और इसकी पूजा विधि.
गोवर्धन पूजा का महत्व
दीपावली महापर्व के चौथे दिन गोवर्धन पूजा की जाती है, जिसे कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि पर मनाया जाता है. इसे "अन्नकूट" के नाम से भी जाना जाता है, क्योंकि इस दिन विशेष रूप से अन्नकूट का भोग बनाया जाता है. यह पर्व प्रकृति और मानव के आपसी संबंध को भी दर्शाता है.
अन्नकूट का भोग
इस दिन विशेष रूप से अन्नकूट का भोग तैयार किया जाता है, जो कई सब्जियों का मिश्रण होता है. इसके साथ भगवान कृष्ण के लिए 56 भोग का प्रसाद भी बनाया जाता है, जो इस पूजा का मुख्य आकर्षण है.
गोवर्धन पूजा की कथा
मान्यता है कि पहले ब्रजवासी देवराज इंद्र की पूजा करते थे, लेकिन भगवान कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत की पूजा का सुझाव दिया. इंद्र ने इसपर क्रोधित होकर भारी बारिश कर दी, तब भगवान कृष्ण ने अपनी उंगली पर गोवर्धन पर्वत उठाकर ब्रजवासियों की रक्षा की थी.
क्यों लगता है अन्नकूट का भोग
इंद्र के प्रकोप से हुए तूफान और बारिश के कारण घरों में सब्जियों को एकत्र कर अन्नकूट तैयार किया गया. तब से हर वर्ष इस अवसर पर गोवर्धन पूजा के साथ अन्नकूट का भोग अर्पित किया जाता है.
गोवर्धन पूजा की तिथि
2024 में गोवर्धन पूजा 2 नवंबर को शनिवार के दिन मनाई जाएगी. प्रतिपदा तिथि 1 नवंबर की शाम 6:16 बजे शुरू होकर 2 नवंबर की रात 8:21 बजे समाप्त होगी, इसलिए उदया तिथि के अनुसार गोवर्धन महाराज की पूजा 2 नवंबर को होगी.
पूजन का शुभ मुहूर्त
गोवर्धन पूजन का शुभ मुहूर्त 2 नवंबर को शाम 6:30 बजे से रात 8:45 बजे तक रहेगा. इस दौरान 2 घंटे 45 मिनट का समय पूजा के लिए शुभ रहेगा, जब भगवान की आराधना की जा सकती है.
गोवर्धन पूजन विधि
ब्रह्म मुहूर्त में स्नान कर भगवान कृष्ण और गोवर्धन महाराज की पूजा की जाती है. आंगन में गोबर से गोवर्धन, गाय-बछड़े और ब्रजवासियों की प्रतिमाएं बनाकर उन्हें फूल और खील से सजाया जाता है.
परिक्रमा और आरती
पूजा के बाद गोवर्धन महाराज की सात बार परिक्रमा की जाती है, जिसमें दूध मिलाकर पानी का प्रयोग होता है. इसके बाद घी का दीपक जलाकर आरती की जाती है और गोवर्धन महाराज के जयकारे लगाए जाते हैं.
प्रकृति और परिवार का पर्व
पूजा और परिक्रमा के बाद परिवार के सभी सदस्य घर के बड़ों से आशीर्वाद लेते हैं. यह पर्व परिवार को एक साथ जोड़ता है और समाज में प्रकृति के महत्व को समझने का संदेश देता है.
Disclaimer
यहां बताई गई सारी बातें धार्मिक मान्यताओं पर आधारित हैं. इसकी विषय सामग्री और एआई द्वारा काल्पनिक चित्रण का जी यूपीयूके हूबहू समान होने का दावा या पुष्टि नहीं करता