Jagannath Rath Yatra 2024 : इन शुभकामना संदेशों को भेजकर अपनों को दें जगन्नाथ यात्रा की बधाई, मंगलमय होगा दिन

Jagannath Rath Yatra 2024 : जगन्नाथ यात्रा 7 जुलाई से शुरू हो रही है. इस अवसर पर अपने प्रियजनों को शुभकामना संदेश भेजकर उनका दिन मंगलमय कर दें.

पद्मा श्री शुभम् Sat, 06 Jul 2024-7:43 pm,
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रिश्तेदारों को शुभकामनाएं

(Happy Jagannath Rath Yatra 2024 Wishes) 7 जुलाइ 2024 से जगन्नाथ यात्रा शुरू हो रही है. ऐसे में दोस्तों और रिश्तेदारों को ये शुभकामनाएं भेज सकते हैं. इस पावन पर्व पर उन्हें बधाई दे सकते हैं.

(Jagannath Yatra 2024 Wishes) जगन्नाथ जी की रथ यात्रा के शुभ दिन और अद्भुत पावन पर्व पर आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएं.

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गुलाब की महक, फूलों के हार

गुलाब की महक, फूलों के हार,

भक्तो का प्यार श्रद्धा से, खुशियों से भर जाए यह त्यौहार, जगन्नाथ स्वामी की यात्रा पर बहुत प्यार हैप्पी जगन्नाथ रथ यात्रा.

जय जगन्नाथ जय जगन्नाथ, सब के सिर पर तेरा रहे हाथ संग सदा नाथ का साथ, कैसे कोई हो अनाथ जय जगन्नाथ.

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नीलांचल निवासाय नित्याय परमात्मने।

नीलांचल निवासाय नित्याय परमात्मने।

बलभद्र सुभद्राभ्याम् जगन्नाथाय ते नमः।। जगन्नाथ रथ यात्रा की शुभकामनाएं।

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जगन्नाथ रथ यात्रा के पावन पुण्य से आप सभी के जीवन में

जगन्नाथ रथ यात्रा के पावन पुण्य से आप सभी के जीवन में

सुख, समृद्धि, सौभाग्य, यश व आरोग्य स्थापित हों। जगन्नाथ रथ यात्रा की शुभकामनाएं।

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नगर पुरी के नाथ, जगत के आधार

नगर पुरी के नाथ, जगत के आधार,

राम, कृष्ण, कल्की नारायण अवतार जगन्नाथ रथ यात्रा की मंगलमय शुभकामनाएं.

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जब जब होवे धर्म की हानि

जब जब होवे धर्म की हानि

तब अवतार लेवे भगवन कर दे मर्दन पापियों की मुक्ति देवे हम पृथ्वी वासियों को बोलो जगन्नाथ जी की जय

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जगन्नाथ रथ यात्रा की शुभकामनाएं

जगन्नाथ रथ यात्रा की शुभकामनाएं

हे भगवान, जगन्नाथ थाम लेना मेरा हाथ कृपा करना कि सब चले साथ-साथ

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चन्दन की खुशबु, रेशम का सुंदर हार

चन्दन की खुशबु, रेशम का सुंदर हार,

भादों की सुगंध, बारिश की तेज फुहार, हृदय की उम्मीदें, अपनों का प्यार मंगलमय हो आपको भगवान जगन्नाथ का त्यौहार

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जगन्नाथ रथ यात्रा की शुभकामनाएं

जगन्नाथ रथ यात्रा की शुभकामनाएं

हे प्रभु जगन्नाथ थाम के मेरा हाथ अपने रथ में ले चल मुझे साथ लुभाए न मुझको अब कोई अब एक ही मेरा तो बस स्वार्थ जगन्नाथ ! जगन्नाथ ! जगन्नाथ !

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हे प्रभु जगन्नाथ थाम मेरा हाथ,

हे प्रभु जगन्नाथ थाम मेरा हाथ,

अपने रथ में ले चल मुझे साथ, लुभाए न मुझको अब कोई भी पदार्थ, मेरा तो बस अब एक ही है स्वार्थ, धर्म युद्ध हो या कर्म युद्ध तू सारथी बने, मैं पार्थ अपने रथ में मुझे ले चल साथ जय जगन्नाथ.

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जिनकी दृष्टि से त्रिभुवन सनाथ,

जिनकी दृष्टि से त्रिभुवन सनाथ,

वो हैं जग के नाथ, फैलाकर आज दोनों हाथ, आए अपनाने हमें जगन्नाथ रथ यात्रा की हार्दिक शुभकामनाएं.

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