Mauni Amavasya 2025 Muhurta: मौनी अमावस्या पर महाकुंभ स्नान का शुभ मुहूर्त 1 घंटे से कम, स्वर्ण नक्षत्र का दुर्लभ संयोग, राहु काल में स्नान से बचें

सनातन धर्म में मौनी अमावस्या का खास महत्व है. इस दिन को पितृ दोष शांति और मुक्ति के लिए सबसे अहम माना गया है. ऐसे में आइए जानते हैं मौनी अमावस्या का शुभ मुहूर्त.

पूजा सिंह Jan 28, 2025, 13:59 PM IST
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Mauni Amavasya 2025 Muhurta: सनातन धर्म में मौनी अमावस्या अहम माना गया है. यह दिन पितृ दोष शांति और मुक्ति के लिए खास है. इस बार बुधवार को माघी अमावस्या या मौनी अमावस्या पड़ने वाला है.

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माघी अमावस्या

माघी अमावस्या माघ माह के मध्य में आती है, इसीलिए इसे माघी अमावस्या भी कहते हैं. हिंदू कैलेंडर की मानें तो मौनी अमावस्या को गंगा स्नान के लिए उपयुक्त और महत्वपूर्ण दिन माना गया है.

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कब है मौनी अमावस्या?

28 जनवरी 2025 को शाम 7.25 मिनट पर अमावस्या तिथि की शुरूआत होगी. वहीं, 29 जनवरी, 2025 को शाम 6.05 मिनट पर अमावस्या तिथि का समापन होगा. इस बार मौनी अमावस्या 29 जनवरी बुधवार के दिन है.

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ब्रह्म मुहूर्त

अगर मौनी अमावस्या पर स्नान के लिए जा रहे हैं तो सुबह 5 बजकर 30 मिनट से लेकर सुबह 6 बजकर 22 मिनट का ब्रह्म मुहूर्त स्नान के लिए बेहद शुभ है. फिर आप दान-पुण्य कर सकते हैं.

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जानें शुभ मुहूर्त

इस दिन लाभ चौघड़िया सुबह 7:10 बजे से होगा. अमृत चौघड़िया सुबह 8:31 से 9:52 बजे तक रहेगी. शुभ चौघड़िया सुबह 11:13 बजे से 12:34 बजे तक है.

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स्वर्ण नक्षत्र का संयोग

इस साल मौनी अमावस्या को माघ मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि पर पड़ रही है. इस बार अमावस्या तिथि पर स्वर्ण नक्षत्र का संयोग बन रहा है, जो इसे और भी शुभ और लाभकारी बनाता है.

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दुर्लभ संयोग

ज्योतिष गणना के मुताबिक, इस बार मौनी अमावस्या पर एक बड़ा ही दुर्लभ संयोग बन रहा है. इस बार मौनी अमावस्या पर मकर राशि में सूर्य, चंद्रमा और बुध एकसाथ रहेंगे. यह त्रिग्रही योग करीब 50 साल बाद बन रहा है.

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मोक्ष की प्राप्ति

कहा जाता है कि मौनी अमावस्या के दिन स्नान, दान करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है. इस दिन गंगा जल को अमृत के समान माना गया है. इस अमावस्या पर गंगा में स्नान करना शुभ और फलदायी माना गया है.

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जानें पूजन विधि

इस दिन पवित्र नदी में ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करें. अगर स्नान के लिए नहीं जा पा रहे तो घर में ही गंगा जल नहीने के पानी में मिलाकर स्नान करें. स्नान के बाद भगवान विष्णु का ध्यान करें और व्रत का संकल्प लें.

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पितरों की कृपा

विष्णु जी की आराधना करें, साथ ही तुलसी माता का आशीर्वाद लें. पीपल के पेड़ की विधिवत पूजा-अर्चना करें. पितरों की कृपा पाने के लिए उनका ध्यान करें और जरुरतमंदों को दान करें.

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डिस्क्लेमर: यहां बताई गई सारी बातें धार्मिक मान्यताओं पर आधारित हैं. इसकी विषय सामग्री और AI द्वारा काल्पनिक चित्रण का Zeeupuk हूबहू समान होने का दावा या पुष्टि नहीं करता.

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