Agra Shiv Mandir: पृथ्वीराज चौहान और संयोगिता की प्रेम कहानी का अहम पड़ाव है, आगरा का ये 800 साल पुराना शिव मंदिर

सावन के चौथे सोमवार पर आगरा में तड़के सुबह से ही शिवालयों में भक्तों को भीड़ लगी हुई है. प्राचीन पृथ्वीनाथ महादेव मंदिर से लोगों की ऐसी आस्था जुड़ी है कि यहां सैलाब सा उमड़ रहा है. ये मंदिर सैकड़ों साल पुराना है, जो अपने में कई रहस्यों को समेटे हुए है. आइए जानते हैं.

पूजा सिंह Mon, 12 Aug 2024-12:18 pm,
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Agra Shiv Mandir: आगरा के चारों कोनों पर प्राचीन शिव मंदिर हैं. इन शिवालयों में बड़ी संख्या में शिव भक्त अपनी हाजिरी लगाने पहुंचते हैं और जब सावन के सोमवार की हो तो नजारा ही कुछ और होता है. जी हां, आज हम बात करेंगे शहर के शाहगंज स्थित प्राचीन मंदिरों में शुमार पृथ्वीनाथ महादेव मंदिर की. ये आगरा का एकमात्र ऐसा शिव मंदिर है जहां भोलेनाथ की भस्म महाआरती होती है. इस शिव मंदिर का इतिहास करीब 800 साल से भी ज्यादा पुराना है. इससे पृथ्वीराज चौहान और संयोगिता के स्वयंवर की एक रोचक कहानी जुड़ी हुई है. 

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सावन की धूम

सावन में तो जैसे ये मंदिर हर-हर महादेव और बम-बम भोले के जयकारे से गूंजता रहता है. मंदिर परिसर में छोटे महादेव और हनुमानजी भी विराजमान हैं. यहां सावन के चौथे सोमवार को भव्य और विशाल मेला लगता है. इस मंदिर में महोदव को जल चढ़ाने का विशेष महत्व है. जिसकी वजह से दूर-दूर से भक्त दर्शन करने आते हैं.

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यहां था घना जंगल

रिपोर्ट्स के मुताबिक, ये मंदिर करीब 800 साल से अधिक प्राचीन है. पहले यहां घना जंगल और खेत खलिहान हुआ करते थे. आगरा में राजस्थान की ओर जाने और आने का ये क्षेत्र प्रवेश द्वार था. जिस जगह पर बाबा महादेव विराजमान हैं. यहां पर एक कुआं और छोटा धर्मशाला था. जहां राहगीर रुकते थे और जरूरत महसूस होने पर रात्रि विश्राम भी करते थे. इसके बाद आगे का सफर तय करते थे.

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संयोगिता के हरण से नाता

मंदिर के महंत की मानें तो जब कन्नौज के राजा जयचंद ने अपनी बेटी संयोगिता का स्वयंवर किया तो उस स्वयंवर से अजमेर के पराक्रमी राजा पृथ्वीराज चौहान ने उनकी बेटी का हरण कर लिया. इसके बाद पृथ्वीराज चौहान ने आगरा पहुंचकर अपनी सेना के साथ यहां पड़ाव डाला. उनके रथ के घोड़े को सैनिकों ने एक बड़े आकार के पेड़ की जड़ से बांध दिया.

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पेड़ की जड़ में शिवलिंग

कुछ देर में घोड़े खुल गए फिर सैनिक ने उन्हें दोबारा बांधा, लेकिन हर बार घोड़े की रस्सी पेड़ से खुल जाती. परेशान होकर सैनिकों ने इसकी जानकारी पृथ्वीराज चौहान को दी. उस पेड़ पर प्रेत की छाया की आशंका के चलते राजा पृथ्वीराज चौहान ने उसे उखड़वाया तो पेड़ की जड़ से शिवलिंग जकड़ा हुआ मिला. जिसे देख हर कोई हैरान रह गया.

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पृथ्वीराज चौहान ने बनवाया मंदिर

मंदिर के महंत की मानें तो शिवलिंग को निकालने के लिए पृथ्वीराज चौहान ने खोदाई कराई. करीब 40 हाथ तक खोदाई की गई, लेकिन शिवलिंग का छोर नहीं मिला. इसके बाद पृथ्वीराज चौहान को महादेव ने स्वप्न में कहा कि मैं अनंत हूं. खुदाई कराने का कोई फायदा नहीं. इसके बाद पृथ्वीराज चौहान ने यहां सफाई करवाकर क्षमा याचना की और मंदिर की स्थापना कराई. जिसकी वजह से इसका नाम पृथ्वीनाथ महादेव रखा गया. फिर कालांतर में व्यापारियों ने इसका जीर्णोद्धार कराया.

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शिवलिंग पर शिव परिवार

जानकारी के मुताबिक, मंदिर के एक तल के नीचे शिवजी पूरे परिवार के साथ विराजमान हैं. ये दुनिया का अनोखा शिवलिंग है, जिसमें महादेव और उनका पूरा परिवार विराजमान है. शिवलिंग में एक तरफ भगवान गणेश, दूसरी ओर माता पार्वती और आगे की तरफ नंदी की प्रतिमा साफ-साफ दिखाई देती है.

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पूरी होती है सभी मुराद

शिव भक्तों का मानना है कि सावन में एक बार जरूर बाबा के दरबार में अपने परिवार के साथ हाजिरी लगानी चाहिए. बाबा के आर्शीवाद से परिवार खुश रहता है. साथ ही सभी काम पूरे होते हैं. मान्यता है कि बाबा भोलेनाथ अपने दर पर आने वाले सभी भक्तों का दुख हर लेते हैं और सभी मनोकामनाओं को पूर्ण कर सुख शांति का आशीर्वाद देते हैं.

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चौथे सोमवार को विशाल मेला

सावन के चौथे सोमवार को प्राचीन पृथ्वीनाथ महादेव मंदिर में हर साल विशाल मेला लगता है. जिसमें दूर-दूर से शिव भक्त आते हैं. मंदिर में आने वाले श्रद्धालुओं की भारी भीड़ को देखते हुए मंदिर प्रशासन और जिला प्रशासन की ओर से यहां उचित इंतजाम किए जाते हैं. इस साल भी यहां भव्य और विशाल मेला लगा हुआ है.

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Disclaimer: यहां दी गई सभी जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. Zeeupuk इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.

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