Ashtami Hawan Vidhi:अष्टमी पर हवन का कुछ घंटे का शुभ मुहूर्त, जानें मंत्रोच्चार और हवन विधि, पूजा पर न करें ये गलतियां

शारदीय नवरात्रि की पूजा हवन के बिना अधूरी मानी जाती है. अष्टमी और नवमी के दिन हवन करने से माता रानी की विशेष कृपा बरसती है. हवन विधि के बारे में पढ़िए.

पूजा सिंह Sun, 06 Oct 2024-1:23 pm,
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Ashtami Hawan Vidhi: नवरात्रि के नौ दिन देवी मां के अलग-अलग स्वरूपों की पूजा की जाती है. शारदीय नवरात्रि के नौ दिन मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है. कन्या पूजन और हवन के बिना नवरात्रि की पूजा अधूरी मानी जाती है. माना जाता है कि नवरात्रि में अष्टमी और नवमी के दिन हवन करने से नवग्रह, देवी और देवताओं को उनका अंश प्राप्त होता है, जिससे प्रसन्न होकर वो आशीर्वाद देते हैं.

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हवन का महत्व

नवरात्रि में मां दुर्गा की उपासना के साथ हवन करना अनिवार्य माना जाता है. हवन के बिना नवरात्रि की पूजा संपन्न नहीं होती है. कुछ लोग नवरात्रि में पूरे नौ दिन हवन करते हैं. जो लोग नवरात्रि में नौ दिन हवन नहीं कर पाते हैं वो अष्टमी या नवमी के दिन हवन जरूर करते हैं.

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आत्मिक शुद्धि का साधन

हवन का एक और प्रमुख उद्देश्य आत्मा और मन की शुद्धि है. नवरात्रि के दिनों में जब भक्त उपवास और साधना में लीन रहते हैं, हवन उनके आत्मिक शुद्धिकरण का एक साधन बनता है. हवन में दी जाने वाली आहुतियों और मंत्रों के उच्चारण से एक विशेष ऊर्जा उत्पन्न होती है, जो मानसिक शांति और ध्यान को प्रगाढ़ बनाती है.

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पर्यावरण शुद्धि

हवन न सिर्फ व्यक्ति विशेष के लिए बल्कि वातावरण के लिए भी शुद्धिकरण का काम करता है. नवरात्रि के दौरान हवन में जो खास तरह की सामग्री डाली जाती है, जैसे-गाय का घी, हवन कुंड की लकड़ी, चंदन, गुग्गल, लोबान इत्यादि, उनसे उत्पन्न धुआं वातावरण को शुद्ध करता है.

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दुर्गा अष्टमी और महानवमी

दुर्गा अष्टमी और महानवमी की बात करें तो है. 11 अक्टूबर को 12:06PM से 12 अक्टूबर, 10:58AM तक है. इस दिन सूर्योदय के बाद महागौरी और सिद्धिदात्री पूजा करने के बाद हवन कर सकते हैं. हवन के बाद कन्या पूजा करें.

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हवन की विधि

हवन करने के लिए हवन कुंड, आम की लकड़ी, काले तिल, कुमकुम, अक्षत, जौ, धूप, पंचमेवा, सूखा नारियल, घी, लोबान, लौंग का जोड़ा, गुग्गल, कमल गट्टा, सुपारी, कपूर, लौंग, इलायची, और हवन में चढ़ाने के लिए भोग को एक जगह एकत्रित कर लें.

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हवन पूजन कैसे करें?

हवन करने के लिए सबसे पहले हवन कुंड को गंगाजल से शुद्ध कर लेना चाहिए. हवन कुंड के चारों तरफ कलावा बांध दें. उस पर स्वास्तिक बनाकर उसकी पूजा करनी चाहिए. इसके बाद हवन कुंड पर अक्षत, फूल और चंदन अर्पित करना चाहिए. हवन सामग्री तैयार कर लें.

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अग्नि में आहुति

हवन कुंड में 4 आम की लकड़ियां रखकर इसके बीच में पान का पत्ता रखें और उस पर कपूर, लौंग, इलायची, बताशा जैसे रखें. इसके बाद हवन कुंड में आम की लकड़ियां रखकर अग्नि प्रज्वलित करें. मंत्र बोलते हुए हवन सामग्री से अग्नि में आहुति दें.

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नौ कन्याओं का पूजन

हवन संपूर्ण होने के बाद नौ कन्याओं का पूजन कर उन्हें भोजन कराएं और पैर छूकर उनका आशीर्वाद लें. इसके बाद कन्याओं को दक्षिणा देकर श्रद्धापूर्वक विदा करें. 

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हवन करने का मंत्र

ओम आग्नेय नम: स्वाहा, ओम गणेशाय नम: स्वाहा, ओम गौरियाय नम: स्वाहा, ओम नवग्रहाय नम: स्वाहा, ओम दुर्गाय नम: स्वाहा, ओम महाकालिकाय नम: स्वाहा, ओम हनुमते नम: स्वाहा, ओम भैरवाय नम: स्वाहा, ओम कुल देवताय नम: स्वाहा, ओम स्थान देवताय नम: स्वाहा, ओम ब्रह्माय नम: स्वाहा, ओम विष्णुवे नम: स्वाहा, ओम शिवाय नम: स्वाहा.

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Disclaimer: यहां बताई गई सारी बातें धार्मिक मान्यताओं पर आधारित हैं. इसकी विषय सामग्री और एआई द्वारा काल्पनिक चित्रण का जी यूपीयूके हूबहू समान होने का दावा या पुष्टि नहीं करता.

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