तीन अक्टूबर को इन तीन ग्रहों को लगने वाली है राहु की टेड़ी नजर, सूर्य ग्रहण पर होगी घटना
Surya Grahan 2024: साल 2024 का अंतिम सूर्य ग्रहण 2 अक्टूबर को लगने जा रहा है. राहु के द्वारा सूर्य और चंद्र के ग्रास से ग्रहण लगता है. यह ग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा तो इस कारण इसका सूतक काल मान्य नहीं होगा.
2024 का अंतिम सूर्य ग्रहण
Surya Grahan 2024: जल्दी ही साल का दूसरा और आखिरी सूर्य ग्रहण लगने जा रहा है. सूर्य ग्रहण का धार्मिक और वैज्ञानिक दोनों महत्व है. ज्योतिष और पंचांग के मुताबिक यह सूर्य ग्रहण कंकण सूर्य ग्रहण होगा.
सूर्यग्रहण कन्या राशि और हस्त नक्षत्र में
यह सूर्यग्रहण कन्या राशि और हस्त नक्षत्र में लगने जा रहा है. आइए जानते हैं कंकण सूर्यग्रहण कब लगने जा रहा है और ये किन देशों में दिखाई देगा. ये भी जानते हैं कि भारत में ये दिखाई देगा की नहीं. पहले जानते हैं कि सूर्यग्रहण कब लगने जा रहा है.
कब है साल का अंतिम सूर्यग्रहण 2024?
साल का अंतिम और दूसरा सूर्यग्रहण आश्विन अमावस्या तिथि के दिन 2 अक्टूबर की मध्य रात्रि में लगने जा रहा है. इस दौरान तीन ग्रहों पर राहु की सीधी दृष्टि रहने वाली है. बुध, केतु और सूर्य तीनों ग्रह इस दौरान कन्या राशि में बुध, केतु और सूर्य रहेंगे. राहु की सीधी दृष्टि इन सभी ग्रहों पर रहेगी.
सूर्य ग्रहण अक्टूबर 2024 का समय
भारतीय समयानुसार, सूर्य ग्रहण का आरंभ 2 अक्टूबर की रात 9 बजकर 13 मिनट से आरंभ होगा और मध्य रात्रि 3 बजकर 17 मिनट तक रहेगा.
क्या होता है कंकण सूर्यग्रहण
जब सूर्य, चंद्रमा, और पृथ्वी एक सीधी रेखा में आ जाते हैं, और चंद्रमा सूर्य को पूरी तरह से नहीं ढक पाता, तब कंकण सूर्य ग्रहण लगता है. इस स्थिति में सूर्य का मध्य भाग ढक जाता है और उसके चारों तरफ़ रोशनी दिखाई देती है. पृथ्वी से देखने पर सूर्य कंगन या वलय के रूप में दिखाई देता है.
सूर्यग्रहण का कंकण प्रारंभ
सूर्यग्रहण का कंकण प्रारंभ 10 बजकर 21 मिनट पर परमग्रास रात में 12 बजकर 15 मिनट पर कंकण की अवधि 7 मिनट 25 सेकंड रहने वाली है।
कहां-कहां दिखाई देगा सूर्यग्रहण 2024?
यह ग्रहण दक्षिण अमेरिका,प्रशान्त महासागर, उत्तरी-अमेरिका के दक्षिणी भागों, एटलांटिक महासागर और न्यूजीलैंड, फिजी आदि देशों में कुछ समय के लिए दिखाई देगा. दिखाई देने वाले मुख्य देश होंगे-चिली, अर्जेंटीना, ब्राज़ील, मैक्सिको, पेरू, न्यूजीलैंड और फिजी में हालांकि, यहां भी बहुत कम समय के लिए दिखाई देगा. इस ग्रहण की कंकण कृति केवल दक्षिणी चिली और दक्षिणी अर्जन्टीना में ही दिखाई देगी।
क्या भारत में दिखाई देगा
भारत में यह सूर्यग्रहण नहीं अदृश्य रहने वाला है. इसलिए भारत में इसका सूतक काल भी मान्य नहीं होगा. भारत के किसी भी शहर में इसके देखा नहीं जा सकेगा.
सूर्य को क्यों ग्रहण लगाते हैं राहु और केतु?
पौराणिक कथाओं के अनुसार, जब समुद्र मंथन हुआ और उसके बाद समुद्र मंथन के निकले सामान का बटवारा असुर और देवताओं के बीच में हुआ थी. उस दौरान अमृत कलश को लेकर दोनों के बीच बहस शुरू हो गई. इसके बाद भगवान विष्णु जो मोहिनी रूप में आए उन्होंने कहा कि दोनों को बराबर अमृत मिलेगा. लेकिन, पहले देवता अमृत ग्रहण करेंगे.
छल से पिया अमृत
इस दौरान स्वरभानु नाम के एक राक्षस ने देवताओं को रूप लेकर छल से अमृत पी लिया. यह सब सूर्यदेव और चंद्रदेव ने देख लिया. दोनों ने तुरंत ही भगवान विष्णु को स्वर भानु के बारे में सब बातें श्रीहरि को बताईं. उस समय से स्वरभानु के गले में अमृत की कुछ बूंदे जा चुकी थीं.
स्वरभानु का गला काटा
भगवान विष्णु ने क्रोधित होकर स्वरभानु का गला अपने सुदर्शन चक्र से काट दिया था जिससे स्वरभानु के दो भाग हो गए. सिर वाला भाग राहु और शरीर का बाकी हिस्सा केतु बन गया. अमृत पीने के कारण राहु और केतु अमर हो गए. लेकिन, उसी दिन से सूर्य और चंद्रमा उनके दुश्मन बन गए. तब से राहु केतु सूर्य और चंद्रमा को ग्रहण लगाने लगे.
वैज्ञानिक कारण
सूर्य ग्रहण एक तरह का ग्रहण है जब चन्द्रमा, पृथ्वी और सूर्य के मध्य से होकर गुजरता है तथा पृथ्वी से देखने पर सूर्य पूर्ण अथवा आंशिक रूप से चन्द्रमा द्वारा आच्छादित होता है.
Disclaimer
यहां दी गई सभी जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं,वास्तुशास्त्र पर आधारित हैं. Zeeupuk इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता हइसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.