Chhat Puja 2024: कार्तिक मास में ही क्यों मनाते हैं छठ पर्व, कौन हैं छठ मैया और भगवान कार्तिकेय से क्या है नाता

Chhat Puja 2024: छठ महापर्व मनाने वाले सभी लोग जानते हैं कि इस पर्व में सूर्य के साथ छठी मैया की भी पूजा होती है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि छठी मैया कौन हैं और उनका भगवान शिव के पुत्र कार्तिकेय से क्या नाता है.

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छठी मैया के पूजन का महत्व

हिंदू धर्म में छठी मैया को विशेष स्थान दिया गया है, विशेष रूप से बिहार, झारखंड, और उत्तर प्रदेश में. छठ पूजा के दौरान इनकी पूजा की जाती है, जो सूर्य देवता की आराधना के साथ जुड़ी हुई है. मान्यता है कि छठी मैया, सूर्य देव की बहन हैं सृष्टि के रचयिता ब्रह्मा का अंश हैं, जो संतान सुख, स्वास्थ्य, और समृद्धि का आशीर्वाद देती हैं.

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कार्तिक मास में छठ पूजा का आयोजन

कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष में छठ पूजा मनाई जाती है, जो एक पवित्र अनुष्ठान है. इस पर्व का उद्देश्य छठी मैया की कृपा प्राप्त करना है. सूर्य की ऊर्जा और शक्ति का सम्मान करने के साथ यह पर्व भगवान कार्तिकेय से भी जुड़ा हुआ माना जाता है.

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छठी मैया की उत्पत्ति और शक्ति

छठी मैया को शक्ति की देवी के रूप में देखा जाता है, जिन्हें सृष्टि की रचयिता का रूप भी माना गया है. यह पर्व प्रकृति की देवी के प्रति श्रद्धा और समर्पण का प्रतीक है, जो संतान की सुरक्षा और समृद्धि का आशीर्वाद प्रदान करती हैं.

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भगवान कार्तिकेय और छठी मैया का संबंध

हिंदू मान्यता के अनुसार, भगवान कार्तिकेय शिव और पार्वती के पुत्र हैं और छठी मैया उनकी पत्नी हैं. उनकी पूजा करने से भक्तों को स्वास्थ्य, संतान सुख, और वैभव प्राप्त होता है. कार्तिकेय की पूजा के साथ छठी मैया का पूजन, शक्ति और विजय का आशीर्वाद लेकर आता है.

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युद्ध के देवता कार्तिकेय और छठ पूजा

भगवान कार्तिकेय को युद्ध और विजय के देवता के रूप में पूजा जाता है. छठ पूजा में उनकी उपस्थिति शक्ति और आध्यात्मिकता का प्रतीक मानी जाती है, जो भक्तों को साहस और संकल्प प्रदान करती है. 

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आस्था और समर्पण का पर्व

छठ पूजा भारतीय संस्कृति में एक धार्मिक आस्था और समर्पण का प्रतीक है. इस व्रत के माध्यम से भक्त अपने परिवार और संतान की समृद्धि के लिए छठी मैया से आशीर्वाद की प्रार्थना करते हैं. यह पर्व उनके विश्वास और विश्वास के प्रति उनकी निष्ठा को दर्शाता है.

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कठिन व्रत और तपस्या

छठ पूजा एक कठिन व्रत है, जिसमें व्रती 36 घंटों तक बिना अन्न-जल ग्रहण किए उपवास रखते हैं. भक्त सूर्यास्त और सूर्योदय को अर्घ्य अर्पित करते हैं, और संतान सुख, स्वास्थ्य, और परिवार की खुशहाली के लिए छठी मैया का आशीर्वाद मांगते हैं.

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सूर्य देवता और छठी मैया की पूजा

छठ पूजा सूर्य देवता और छठी मैया की पूजा का सम्मिलित पर्व है. यह पर्व दोनों देवताओं की संयुक्त कृपा प्राप्त करने का अवसर है, जो संतान सुख, स्वास्थ्य, और समृद्धि प्रदान करने में सहायक माने जाते हैं.

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सुख-समृद्धि के लिए छठी मैया का आशीर्वाद

छठी मैया का आशीर्वाद भक्तों के जीवन में सुख, शांति, और संतोष लेकर आता है. उनकी पूजा परिवार और संतान की रक्षा और विकास के लिए महत्वपूर्ण मानी जाती है. भक्तों का विश्वास है कि उनकी कृपा से घर-परिवार में समृद्धि और खुशहाली का वास होता है.

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Disclaimer

यहां बताई गई सारी बातें धार्मिक मान्यताओं पर आधारित हैं. इसकी विषय सामग्री और एआई द्वारा काल्पनिक चित्रण का जी यूपीयूके हूबहू समान होने का दावा या पुष्टि नहीं करता.

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