Sawan Shivratri 2024: हिंदू धर्म में सावन के महीने का बहुत महत्व है. इस महीने आने वाली शिव रात्रि की तो बहुत मान्यता है. भगवान शिव के भक्तों को सालभर इस त्योहार का इंतजार रहता है. इस पर्व के महत्व की बात करें तो कहा जाता है कि शिव रात्रि को भगवान शिव ने सृष्टि की रचना की थी. यह त्योहार अंधकार और बुराई पर प्रकाश और अच्छाई की विजय का प्रतीक माना जाता है. इस दिन भगवान शिव की विधि विधान से पूजा करने से भक्त को मोक्ष की प्राप्ति होती है.  


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सावन शिवरात्रि कब है
इस वर्ष श्रावण यानी सावन मास की शुरुआत 22 जुलाई से हो रही है. पंचाग के अनुसार सावन के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि की शुरुआत 2 अगस्त को दोपहर 
3:27 पर शुरू होगी और इसका समापन 3 अगस्त को दोपहर 3:51 पर होगा. क्योंकि शिवरात्रि में शाम के वक्त पूजा का विशेष महत्व है इसलिए शिवरात्रि का व्रत और पूजा 2 अगस्त को ही किया जाएगा. 


कहते हैं भगवान शिव त्रिदेवों में सबसे भोले हैं लेकिन जब उन्हें क्रोध आता है तो पूरी सृष्टि कांपती है. लेकिन साथ ही वह अपने भक्तों को कभी निराश नहीं करते और विधि विधान से पूजा अर्चना का फल जरूर देते हैं. ऐसे में शिवरात्रि की पूजा विधि जान लेना बहुत आवश्यक है.


शिव रात्रि की पूजा विधि 
 * सवेर में ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र पहनें
 * अपने घर या मंदिर में भगवान शिव की प्रतिमा या शिवलिंग स्थापित करें.
 * शिवलिंग का गंगाजल, दूध, दही, शहद, घी और बेल पत्र से अभिषेक करें.
 * फूल, फल, मिठाई और धूप चढ़ाएं.
 * शिव चालीसा का पाठ करें या "ॐ नमः शिवाय" मंत्र का जाप करें.
 * दिन भर व्रत रखें और रात में फलाहार करें.
 * अगले दिन सुबह, सूर्योदय के बाद व्रत का पारण करें.


जैसा कि ऊपर बताया कि भगवान शिव भोले हैं और उन्हें भोलेनाथ कहा जाता है लेकिन उनका क्रोध भी सबसे ज्यादा विनाशक है इसलिए भगवान शिव आपसे रुष्ट ना हो इसलिए भक्तों को शिवरात्रि के दिन कुछ खास बातों का ध्यान रखना चाहिए. 


शिवरात्रि पर इन बातों का रखें ध्यान:
 * व्रत के दौरान, मांस, मदिरा और तमसिक भोजन का सेवन न करें.
 * ब्रह्मचर्य का पालन करें.
 * दिन भर ध्यान और भक्ति में लीन रहें.
 * मंदिरों, गरीबों, ब्राह्मणों को दान पुण्य करें, और पशु-पक्षियों को भोजन कराएं. 


श्रद्धालु लाते हैं कांवड़
भगवान भोलेनाथ को प्रसन्न करने के लिए उनके भक्त सावन के महीने में गंगा से गंगाजल भरकर लाते हैं और शिवालयों और मंदिरों में जलाभिषेक करते हैं. नियम और धर्म का पालन करते हुए गंगा से जल लाकर शिवलिंग का जलाभिषेक करने को कांवड़ लाना कहते है. सावन के महीने में कांवड़ लाने का विशेष महत्व होता है. सावन शिवरात्रि एक पवित्र त्योहार है जो हमें आत्म-शोध और आध्यात्मिक उन्नति का अवसर प्रदान करता है। इस दिन भगवान शिव की पूजा करने से हमें उनके आशीर्वाद और कृपा प्राप्त होती है।


DISCLAIMER
यह लेख लोक मान्यताओं पर आधारित है. यहां दी गई सूचना और तथ्यों की सटीकता, संपूर्णता के लिए Zee UPUK किसी भी तरह उत्तरदायी नहीं है.


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