Lucknow News: आज से शारदीय नवरात्रि की शुरुआत हो चुकी है. गुरुवार सुबह से देवी मंदिरों में भक्‍तों की भीड़ जुटने लगी. मीरजापुर स्थित विंध्‍याचल में मां विंध्‍यवासिनी धाम में तड़के ही लंबी लाइन लग गई थी. सुबह तक भीड़ बढ़ती गई. पहले दिन देवी मंदिरों में मां शैलपुत्री की पूजा की गई. विंध्‍याचल धाम में पूरे नवरात्रि भक्‍तों की भीड़ रहेगी. वहीं, लखनऊ, वाराणसी के अलावा प्रयागराज के अलोपशंकरी मंदिर में भी भीड़ दिखी. 


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लखनऊ-प्रयागराज और मीरजापुर में देवी मंदिरों में जुटी भीड़ 
लखनऊ के पुराने चौक स्थित बड़ी काली माता मंदिर में सुबह से ही भीड़ जुटने लगी. मान्‍यता है कि बड़ी काली मां की मंदिर में पूजा करने से भक्‍तों की हर मनोकामना पूर्ण होती है. यहां सुबह माता के दर्शन के साथ शाम को होने वाली आरती में बड़ी संख्‍या में भक्‍त जुटते हैं. भीड़ को देखते हुए पर्याप्‍त पुलिस बल भी तैनात किया गया है. प्रयागराज के अलोपशंकरी और ललिता देवी शक्ति पीठ में सुबह से ही भीड़ जुटने लगी. श्रद्धालुओं के लिए पर्याप्‍त सुरक्षा की व्‍यवस्‍था की गई है.   


लाखों श्रद्धालुओं ने टेका मत्‍था 
जौनपुर में मां शीतला चैकियां के दरबार में पहले दिन लाखों श्रद्वालुओं ने मत्था टेका. माता का यह दरबार पूर्वाचंल के लाखों भक्‍तों के लिए आस्था का केन्द्र हैं. सनडे हो या मनडे प्रतिदिन इस दरबार में भारी संख्या में श्रद्वालु मत्था टेकर मन्नते मांगते हैं.  माता रानी के दरबार से लोगों में इतनी अटूट आस्था है कि अपने बच्चों का मुण्डन संस्कार, शादी विवाह और अन्य शुभ कामों की शुरुआत मां शीतला के दर्शन पूजन के बाद ही करते हैं. 


दिनभर लगते रहे मां के जयकारे 
जौनपुर मुख्यालय से आठ किलोमीटर दूर स्थित मां शीतला चैकियां के इस दरबार में नवरात्रि के पहले दिन मां के जयकारे के बीच लाखों दर्शनार्थियों ने दर्शन पूजन किया. माता रानी की आराधना के लिए तड़के तीन बजे से ही भक्त लाइन में लग गए. मंदिर का पट्ट खुलते ही जयकारे के बीच लोगों ने दर्शन पूजन किया. 


अल्‍मोड़ा में दुर्गा पूजा पंडाल सजे 
वहीं, सांस्कृतिक और धार्मिक नगरी अल्मोड़ा में शारदीय नवरात्रि पर देवी मंदिरों में भीड़ जुटी रही. अल्‍मोड़ा में 10 से ज्‍यादा जगहों पर दुर्गा पूजा पंडाल लगाए गए हैं. यहां मां दुर्गा की भव्‍य मूर्ति स्‍थापित की गई है. इन पंडालों में आज सुबह कलश यात्रा निकाली गई. इसमें बड़ी संख्या में महिलाओं ने पारंपरिक परिधानों में सज-धज कर कलश यात्रा में शामिल हुईं. 


 


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