Shukrawar Ke Upay: आज मार्गशीष (अगहन) मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि है. आज दिन शुक्रवार है. आज के दिन मां लक्ष्मी और उनके विभिन्न स्वरूपों की पूजा की जाती है. शुक्रवार को महालक्ष्मी जी की उपासना करने का विशेष महत्व है. शास्त्रों के मुताबिक, देवी लक्ष्मी जब भगवान विष्णु से जुड़ी होती हैं तो उन्हें लक्ष्मी या श्रीदेवी के रूप में माना जाता है. उन्हें दो भुजाओं के साथ दिखाया जाता है. वहीं अकेले और अपनी व्यक्तिगत स्त्री की महिमा के साथ वह महालक्ष्मी के रूप में जानी जाती हैं. महालक्ष्मी के आशीर्वाद से धन, ऐश्वर्य और प्रसिद्धि बढ़ती है. देवी को प्रसन्न करने के लिए आज के दिन महालक्ष्मी चालीसा का पाठ जरूर करना चाहिए. 


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

॥ दोहा ॥
जय जय श्री महालक्ष्मी,करूँ मात तव ध्यान।
सिद्ध काज मम किजिये,निज शिशु सेवक जान॥


॥ चौपाई ॥
नमो महा लक्ष्मी जय माता।तेरो नाम जगत विख्याता॥


आदि शक्ति हो मात भवानी।पूजत सब नर मुनि ज्ञानी॥


जगत पालिनी सब सुख करनी।निज जनहित भण्डारण भरनी॥


श्वेत कमल दल पर तव आसन।मात सुशोभित है पद्मासन॥


श्वेताम्बर अरू श्वेता भूषण।श्वेतही श्वेत सुसज्जित पुष्पन॥


शीश छत्र अति रूप विशाला।गल सोहे मुक्तन की माला॥


सुंदर सोहे कुंचित केशा।विमल नयन अरु अनुपम भेषा॥


कमलनाल समभुज तवचारि।सुरनर मुनिजनहित सुखकारी॥


अद्भूत छटा मात तव बानी।सकलविश्व कीन्हो सुखखानी॥


शांतिस्वभाव मृदुलतव भवानी।सकल विश्वकी हो सुखखानी॥


महालक्ष्मी धन्य हो माई।पंच तत्व में सृष्टि रचाई॥


जीव चराचर तुम उपजाए।पशु पक्षी नर नारी बनाए॥


क्षितितल अगणित वृक्ष जमाए।अमितरंग फल फूल सुहाए॥


छवि विलोक सुरमुनि नरनारी।करे सदा तव जय-जय कारी॥


सुरपति औ नरपत सब ध्यावैं।तेरे सम्मुख शीश नवावैं॥


चारहु वेदन तब यश गाया।महिमा अगम पार नहिं पाये॥


जापर करहु मातु तुम दाया।सोइ जग में धन्य कहाया॥


पल में राजाहि रंक बनाओ।रंक राव कर बिमल न लाओ॥


जिन घर करहु माततुम बासा।उनका यश हो विश्व प्रकाशा॥


जो ध्यावै से बहु सुख पावै।विमुख रहे हो दुख उठावै॥


महालक्ष्मी जन सुख दाई।ध्याऊं तुमको शीश नवाई॥


निज जन जानीमोहीं अपनाओ।सुखसम्पति दे दुख नसाओ॥


ॐ श्री-श्री जयसुखकी खानी।रिद्धिसिद्ध देउ मात जनजानी॥


ॐ ह्रीं-ॐह्रीं सब व्याधिहटाओ।जनउन विमल दृष्टिदर्शाओ॥


ॐ क्लीं-ॐक्लीं शत्रुन क्षयकीजै।जनहित मात अभय वरदीजै॥


ॐ जयजयति जयजननी।सकल काज भक्तन के सरनी॥


ॐ नमो-नमो भवनिधि तारनी।तरणि भंवर से पार उतारनी॥


सुनहु मात यह विनय हमारी।पुरवहु आशन करहु अबारी॥


ऋणी दुखी जो तुमको ध्यावै।सो प्राणी सुख सम्पत्ति पावै॥


रोग ग्रसित जो ध्यावै कोई।ताकी निर्मल काया होई॥


विष्णु प्रिया जय-जय महारानी।महिमा अमित न जाय बखानी॥


पुत्रहीन जो ध्यान लगावै।पाये सुत अतिहि हुलसावै॥


त्राहि त्राहि शरणागत तेरी।करहु मात अब नेक न देरी॥


आवहु मात विलम्ब न कीजै।हृदय निवास भक्त बर दीजै॥


जानूं जप तप का नहिं भेवा।पार करो भवनिध वन खेवा॥


बिनवों बार-बार कर जोरी।पूरण आशा करहु अब मोरी॥


जानि दास मम संकट टारौ।सकल व्याधि से मोहिं उबारौ॥


जो तव सुरति रहै लव लाई।सो जग पावै सुयश बड़ाई॥


छायो यश तेरा संसारा।पावत शेष शम्भु नहिं पारा॥


गोविंद निशदिन शरण तिहारी।करहु पूरण अभिलाष हमारी॥


॥ दोहा ॥
महालक्ष्मी चालीसा,पढ़ै सुनै चित लाय।
ताहि पदारथ मिलै,अब कहै वेद अस गाय॥


Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है.  सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक पहुंचाई गई हैं. हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है. इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी. ZEE UPUK इसकी जिम्मेदारी नहीं लेगा.


Vivah Panchami 2023 Upay: पाना चाहते हैं मनचाहा जीवनसाथी तो विवाह पंचमी पर करें ये उपाय, दूर हो जाएंगे विवाह संबंधी दोष


Vivah Panchami 2023: कब है विवाह पंचमी? तारीख के साथ जानें पूजा का शुभ मुहूर्त और महत्व