shukra grah upay: आज माघ मास के कृष्ण पक्ष की सप्तमी तिथि है. आज दिन शुक्रवार है. हिंदू धर्म में शुक्रवार का दिन धन-वैभव की देवी मां लक्ष्मी और शुक्र ग्रह को समर्पित होता है. मान्यता है कि जिस भी जातक की कुंडली में शुक्र मजबूत स्थिति में होता है, उसे कभी भौतिक सुख-सुविधाओं की कमी नहीं होती. उसे समाज में हमेशा सम्मान मिलता है. इसके साथ ही कार्य क्षेत्र में तरक्की और अपार धन-दौलत मिलता है. वहीं, शुक्र की स्थिति मजबूत न होने पर ठीक इसके विपरीत स्थिति होती है. ऐसे में अगर आप भी शुक्र ग्रह की स्थिति मजबूत करना चाहते हैं तो शुक्र अष्टोत्तर शतनामावली का जाप करें. छह शुक्रवार तक ऐसा करने से लाभ मिल सकता है.


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शुक्र अष्टोत्तर शतनामावली 


ॐ शुक्राय नमः ।
ॐ शुचये नमः ।
ॐ शुभगुणाय नमः ।
ॐ शुभदाय नमः ।
ॐ शुभलक्षणाय नमः ।
ॐ शोभनाक्षाय नमः ।
ॐ शुभ्ररूपाय नमः ।
ॐ शुद्धस्फटिकभास्वराय नमः ।
ॐ दीनार्तिहरकाय नमः ।
ॐ दैत्यगुरवे नमः ॥ 10 ॥
ॐ देवाभिवन्दिताय नमः ।
ॐ काव्यासक्ताय नमः ।
ॐ कामपालाय नमः ।
ॐ कवये नमः ।
ॐ कल्याणदायकाय नमः ।
ॐ भद्रमूर्तये नमः ।
ॐ भद्रगुणाय नमः ।
ॐ भार्गवाय नमः ।
ॐ भक्तपालनाय नमः ।
ॐ भोगदाय नमः ॥ 20 ॥
ॐ भुवनाध्यक्षाय नमः ।
ॐ भुक्तिमुक्तिफलप्रदाय नमः ।
ॐ चारुशीलाय नमः ।
ॐ चारुरूपाय नमः ।
ॐ चारुचन्द्रनिभाननाय नमः ।
ॐ निधये नमः ।
ॐ निखिलशास्त्रज्ञाय नमः ।
ॐ नीतिविद्याधुरन्धराय नमः ।
ॐ सर्वलक्षणसम्पन्नाय नमः ।
ॐ सर्वावगुणवर्जिताय नमः ॥ 30 ॥
ॐ समानाधिकनिर्मुक्ताय नमः ।
ॐ सकलागमपारगाय नमः ।
ॐ भृगवे नमः ।
ॐ भोगकराय नमः ।
ॐ भूमिसुरपालनतत्पराय नमः ।
ॐ मनस्विने नमः ।
ॐ मानदाय नमः ।
ॐ मान्याय नमः ।
ॐ मायातीताय नमः ।
ॐ महाशयाय नमः ॥ 40 ॥
ॐ बलिप्रसन्नाय नमः ।
ॐ अभयदाय नमः ।
ॐ बलिने नमः ।
ॐ बलपराक्रमाय नमः ।
ॐ भवपाशपरित्यागाय नमः ।
ॐ बलिबन्धविमोचकाय नमः ।
ॐ घनाशयाय नमः ।
ॐ घनाध्यक्षाय नमः ।
ॐ कम्बुग्रीवाय नमः ।
ॐ कलाधराय नमः ॥ 50 ॥


ॐ कारुण्यरससम्पूर्णाय नमः ।
ॐ कल्याणगुणवर्धनाय नमः ।
ॐ श्वेताम्बराय नमः ।
ॐ श्वेतवपुषे नमः ।
ॐ चतुर्भुजसमन्विताय नमः ।
ॐ अक्षमालाधराय नमः ।
ॐ अचिन्त्याय नमः ।
ॐ अक्षीणगुणभासुराय नमः ।
ॐ नक्षत्रगणसञ्चाराय नमः ।
ॐ नयदाय नमः ॥ 60 ॥
ॐ नीतिमार्गदाय नमः ।
ॐ वर्षप्रदाय नमः ।
ॐ हृषीकेशाय नमः ।
ॐ क्लेशनाशकराय नमः ।
ॐ कवये नमः ।
ॐ चिन्तितार्थप्रदाय नमः ।
ॐ शान्तमतये नमः ।
ॐ चित्तसमाधिकृते नमः ।
ॐ आधिव्याधिहराय नमः ।
ॐ भूरिविक्रमाय नमः ॥ 70 ॥
ॐ पुण्यदायकाय नमः ।
ॐ पुराणपुरुषाय नमः ।
ॐ पूज्याय नमः ।
ॐ पुरुहूतादिसन्नुताय नमः ।
ॐ अजेयाय नमः ।
ॐ विजितारातये नमः ।
ॐ विविधाभरणोज्ज्वलाय नमः ।
ॐ कुन्दपुष्पप्रतीकाशाय नमः ।
ॐ मन्दहासाय नमः ।
ॐ महामतये नमः ॥ 80 ॥
ॐ मुक्ताफलसमानाभाय नमः ।
ॐ मुक्तिदाय नमः ।
ॐ मुनिसन्नुताय नमः ।
ॐ रत्नसिंहासनारूढाय नमः ।
ॐ रथस्थाय नमः ।
ॐ रजतप्रभाय नमः ।
ॐ सूर्यप्राग्देशसञ्चाराय नमः ।
ॐ सुरशत्रुसुहृदे नमः ।
ॐ कवये नमः ।
ॐ तुलावृषभराशीशाय नमः ॥ 90 ॥
ॐ दुर्धराय नमः ।
ॐ धर्मपालकाय नमः ।
ॐ भाग्यदाय नमः ।
ॐ भव्यचारित्राय नमः ।
ॐ भवपाशविमोचकाय नमः ।
ॐ गौडदेशेश्वराय नमः ।
ॐ गोप्त्रे नमः ।
ॐ गुणिने नमः ।
ॐ गुणविभूषणाय नमः ।
ॐ ज्येष्ठानक्षत्रसम्भूताय नमः ॥ 100 ॥
ॐ ज्येष्ठाय नमः ।
ॐ श्रेष्ठाय नमः ।
ॐ शुचिस्मिताय नमः ।
ॐ अपवर्गप्रदाय नमः ।
ॐ अनन्ताय नमः ।
ॐ सन्तानफलदायकाय नमः ।
ॐ सर्वैश्वर्यप्रदाय नमः ।
ॐ सर्वगीर्वाणगणसन्नुताय नमः ॥ 108 ॥


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