Swastik Astro Tips: हिंदू धर्म में स्वस्तिक चिन्ह को काफी महत्वपूर्ण माना गया है.  किसी भी शुभ अथवा धार्मिक कार्यों में स्वस्तिक का चिन्ह बनाने की परंपरा लंबे समय से चली आ रही है. हिंदू धर्म में स्वास्तिक को मंगल का प्रतीक माना गया है. इस चिन्ह को लोग अपने घर के दरवाजे और घर के अंदर कई स्थानों पर बनाते हैं. स्वास्तिक चिन्ह. हिंदू धर्म के प्रसिद्ध ऋगवेद में स्वास्तिक को सूर्य का प्रतीक माना गया है . सनातन परंपरा से जुड़ी प्रत्येक चीज अपने भीतर सुख-समृद्धि और सौभाग्य को समाहित किए हुए है. प्रत्येक शुभ कार्य के दौरान बनाया जाने वाला स्वास्तिक भी एक ऐसा ही मंगल चिन्ह है.  क्या आपको पता है कि हर नई चीज में स्वास्तिक का चिन्ह क्यों बनाया जाता है.


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 शुभता और सौभाग्य
अक्सर दरवाजों के बाहर और पूजा के दौरान बनाए जाने वाले इस प्रतीक चिन्ह का संबंध सिर्फ हमारे जीवन से जुड़ी शुभता और सौभाग्य से ही नहीं बल्कि उन मनोकामनाओं से भी है, जिन्हें पूरा करने के लिए हम दिन रात एक किये रहते हैं. आइए जानते हैं कि स्वास्तिक का क्या महत्व है और ये क्यों बनाया जाता है.


क्यों बनाते हैं स्वास्तिक?
स्वास्तिक को हिन्दू धर्म में काफी पवित्र माना गया है. इसे शक्ति, समृद्धि और सौभाग्य का प्रतीक माना गया है. यह हमारे घर में मौजूद नकारात्मक ऊर्जा शक्ति को बाहर कर सकारात्मक ऊर्जा लाता है. ऐसा कहा जाता है कि स्वास्तिक भगवान गणेश का स्वरूप है, इसलिए किसी भी शुभ कार्य से पहले इस चिह्न को बनाया जाता है. माना जाता है कि स्वास्तिक बनाने पर गणेश जी का वास होता है, जिससे वह कार्य या वस्तु लंबे समय तक चलती है.


घर के दरवाजे पर किस देवी-देवता की मूर्ति लगाएं किसकी नहीं?


 


धार्मिक महत्व
हिंदू धर्म में स्वास्तिक चिन्ह को गणपति का प्रतीक माना जाता है, जो कि सभी विघ्न और बाधाओं को दूर करके सुख-समृद्धि का वरदान देते है. किसी भी कार्य को निर्विघ्न रूप से पूर्ण करने और उसमें सफलता पाने के लिए स्वास्तिक चिन्ह का प्रयोग किया जाता है. हिंदू धर्म ही नहीं जैन और बौद्ध धर्म में भी स्वास्तिक चिन्ह का विशेष महत्व है. इन दोनों धर्मों में भी मंगल की कामना लिए इस चिन्ह का विशेष रूप से प्रयोग किया जाता है.


आध्यात्मिक महत्व
मंगल प्रतीक स्वास्तिक चिन्ह की चार रेखाओं के बारे में धार्मिक विद्वानों का मानना है कि ये चारों दिशाओं – पूर्व, पश्चिम, उत्तर और दक्षिण की प्रतीक हैं. इसे बनाने से चहुंओर से व्यक्ति को सुख-समृद्धि और सौभाग्य का आशीर्वाद मिलता है.  कुछ विद्वान स्वास्तिक की चार रेखाओं को हिंदू धर्म से जुड़े सबसे प्राचीन माने जाने वाले धार्मिक ग्रंथ वेदों से जोड़कर देखते हैं. कुछ सनातनी इसे प्रजापिता ब्रह्मा के चार सिरों का प्रतीक मानते हैं.


 सरल और प्रभावी उपाय
ऐसी मान्यता है कि जिन लोगों के घर के मुख्य द्वार पर सिंदूर या फिर रोली से स्वास्तिक चिन्ह बना होता है, उनके घर में किसी भी प्रकार की नकारात्मक उर्जा का प्रवेश नहीं होता है और वहां पर हमेशा सुख-समृद्धि बनी रहती है. किसी भी कारोबार की सफलता के लिए सबसे पहले यही बनाया जाता है. नया घर हो या बिजनेस हिंदू धर्म में इसे सबसे पहले बनाया जाता है. 


धार्मिक मान्यता है कि यदि आप किसी कार्य विशेष में सफलता पाना चाहते हैं तो आप अपने घर के उत्तर दिशा में हल्दी से स्वास्तिक चिन्ह बना दें और प्रतिदिन वहां पर धूप-दीप दिखाते रहें. आपको बिजनेस में तरक्की करनी है तो आप उत्तर-पूर्व दिशा में लगातार सात गुरुवार तक सूखी हल्दी से निशान बनाएं. ऐसी मान्यता है कि इस उपाय से चमत्कारिक रूप से  धन-धान्य में वृद्धि होती है.


हिन्दू धर्म में कई प्रतीक चिह्न
ॐ, स्वस्तिक, बरगद का पेड़, शिवलिंग, मंगल कलश, शंख, रंगोली, दीपक, हाथी, मंगल सूत्र


डिस्क्लेमर
यहां बताई गई सारी बातें धार्मिक मान्यताओं पर आधारित हैं.कंटेंट का उद्देश्य मात्र आपको बेहतर सलाह देना है. इसकी विषय सामग्री और एआई द्वारा काल्पनिक चित्रण का जी यूपीयूके हूबहू समान होने का दावा या पुष्टि नहीं करता.  इस संदर्भ में हम किसी प्रकार का कोई दावा नहीं करते हैं.


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