According To Science:  कभी कभी हमारी नींद खुल जाती है लेकिन हाथ पैर या शरीर का कोई भी अंग हिल ही नहीं पाता. ऐसा लगता है कोई हमें दबाने के लिए छाती पर बैठा है. कुछ लोगों के साथ ऐसा कई बार होता है और वह झाड़ फूंक, भूत प्रेत के साये  जैसी चीजों पर विश्वाश करने लग जाते हैं. लेकिन यह कोई भूत प्रेत या जादू जाते की बात नहीं है. मेडिकल की भाषा में यह बीमारी बहुत आम है. विज्ञान के अनुसार इस बीमारी का नाम है स्लीप पैरालिसिस. यानी नींद में पैरालाइज्ड हो जाना. यह कोई गंभीर बीमारी नहीं है लेकिन इसके बारे में जानकारी न होने पर समस्या जरूर बढ़ सकती है.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

कितनी खतरनाक है स्लीप पैरालिसिस
स्लीप पैरालिसिस बीमारी जानलेवा नहीं होती लेकिन गंभीर होने पर दूसरी अनेक बीमारियां भी इंसान को घेर लेती हैं. इसके कई घातक परिणाम सामने आने लगते हैं. कुछ लोग इस बीमारी से डर के कारण सोने में भी कतराते हैं. स्लीप पैरालिसिस तब होता है जब नींद में दिमाग तो जाग जाता है लेकिन शरीर सोया रहता है, हिलाने पर ऐसा महसूस होता की किसी ने हमें दबाया हुआ है, शरीर का कोई भी हिस्सा हिल नहीं पाता है. जबकि आँख खुली होती है और हम अपने आस पास की चीजों को देख रहे होते हैं.


ये खबर भी पढ़ें- Happy Rose Day 2024: वैलेंटाइन वीक के पहले दिन क्यों मनाया जाता है रोज डे, जानें इसके पीछे की असली वजह


क्यों होता है स्लीप पैरालिसिस
जागने और सोने के ठीक बीच की स्थति को स्लीप पैरालिसिस कहते हैं जब शरीर दिमाग की बात नहीं सुनता और सुन्न हो जाता है. स्लीप पैरालिसिस की समस्या तब होती है जब आदमी बहुत तनाव में हो या कोई डरावना सपना देखा हो. ये बीमारी पीढ़ी दर पीढ़ी भी आगे बढ़ती है. यानि जेनेटिक भी होती है अगर आपके परिवार में ये बिमारी पहले से किसी को है तो ये बीमारी नई पीढ़ी को भी हो सकती है. 


स्लीप पैरालिसिस से बचाव 
इससे बचने के सबसे जरुरी है कि बिस्तर पर जाते समय किसी तरह की टेंशन में ना रहें. दिमाग को स्वस्थ रखने के लिए प्राणायाम और योग करें, मनोवैज्ञानिक मानते हैं  कि जो लोग किसी भूत प्रेत या बुरी शक्ति में विश्वास रखते हैं, वो स्लीप पैरालिसिस के शिकार ज्यादा होते हैं. इसलिए अन्धविश्वाश में न पड़ें.


Disclaimer: यहां दी गई सभी जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. Zeeupuk इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.