Diwali 2023: मां लक्ष्मी को खुश करने के लिए दिवाली पर जरूर करें तुलसी स्त्रोत का पाठ, कभी नहीं होगी पैसों की कमी
Kartik Month 2023: कार्तिक मास शुरु हो चुका है. इस मास को सनातन धर्म का विशेष पर्व दिवाली का त्यौहार मनाया जाता है. मां लक्ष्मी को खुश करने के लिए इस दिन विशेष रुप से मां लक्ष्मी की पूजा की जाती है. मां लक्ष्मी को खुश करने के लिए तुलसी स्त्रोत का पाठ करें...
Tulsi Stotram Lyrics: हिंदू धर्म में कार्तिक मास का विशेष महत्व है. पंचांग के अनुसार आश्विन शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि के समापन के साथ ही कार्तिक मास शुरु हो जाता है. हिंदू कैलेंडर के हिसाब से यह आठवां महीना है. इस माह में भगवान विष्णु, माता लक्ष्मी और तुलसी माता की उपासना का विधान है. सनातन धर्म में ऐसे बहुत से पाठ, स्तुतियों और मंत्रों के बारे में लिखा गया है जिनको अपने जीवन में उतारने से सभी परेशानियां खत्म हो जाती हैं. घर की सुख- समृद्धि और धन की प्राप्ति के लिए कार्तिक मास में तुलसी स्तोत्रम का पाठ बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है.
पाठ करने के नियम
प्रात:काल स्नानादि से निवृत्त हो जाएं. पीले और साफ वस्त्र धारण कर लें.
जहां तुलसी हो वहां भगवान विष्णु की प्रतिमा या चित्र रख कर उनके सामने आसन लगा कर बैठ जाएं.
यदि तुलसी नहीं है तो घर के मंदिर में भगवान विष्णु के सामने आसन लगा कर बैठ जाएं.
भगवान को जल छिड़क कर स्नान कराएं, विधि-विधान से पूजा करें.
उसके बाद धूप और गाय के घी का दीपक जलाएं.
अब तुलसी स्तोत्रम का पाठ करें.
पाठ पूरा होने के बाद आरती करें और मां तुलसी और भगवान विष्णु को भोग लगाएं.
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तुलसी स्तोत्रं
नमस्तुलसि कल्याणि नमो विष्णुप्रिये शुभे.
नमो मोक्षप्रदे देवि नमः सम्पत्प्रदायिके..
तुलसी पातु मां नित्यं सर्वापद्भ्योऽपि सर्वदा.
कीर्तितापि स्मृता वापि पवित्रयति मानवम्..
नमामि शिरसा देवीं तुलसीं विलसत्तनुम्.
यां दृष्ट्वा पापिनो मर्त्या मुच्यन्ते सर्वकिल्बिषात्..
तुलस्या रक्षितं सर्वं जगदेतच्चराचरम्.
या विनिहन्ति पापानि दृष्ट्वा वा पापिभिर्नरैः..
नमस्तुलस्यतितरां यस्यै बद्ध्वाञ्जलिं कलौ.
कलयन्ति सुखं सर्वं स्त्रियो वैश्यास्तथाऽपरे..
तुलस्या नापरं किञ्चिद् दैवतं जगतीतले.
यथा पवित्रितो लोको विष्णुसङ्गेन वैष्णवः..
तुलस्याः पल्लवं विष्णोः शिरस्यारोपितं कलौ.
आरोपयति सर्वाणि श्रेयांसि वरमस्तके..
तुलस्यां सकला देवा वसन्ति सततं यतः.
अतस्तामर्चयेल्लोके सर्वान् देवान् समर्चयन्..
नमस्तुलसि सर्वज्ञे पुरुषोत्तमवल्लभे.
पाहि मां सर्वपापेभ्यः सर्वसम्पत्प्रदायिके..
इति स्तोत्रं पुरा गीतं पुण्डरीकेण धीमता.
विष्णुमर्चयता नित्यं शोभनैस्तुलसीदलैः..
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