Plastic Water Bottle: हम सब कभी न कभी बाहर से खरीदकर पानी पीते हैं, यह पानी प्लास्टिक की बोतल में होता है. हम सब बिना सोचे समझे पानी को साफ़ समझकर अपनी प्यास मिटा देते हैं लेकिन इसके खतरों के बारें में हमें जानकारी नहीं होती. हमारे पूर्वज सदियों ये ताम्बा, पीतल और कांसे जैसी धातुओं का प्रयोग करते रहे और स्वस्थ जीवन जिया लेकिन समय के साथ धातुओं की जगह प्लास्टिक ने ले ली. आज के समय में प्लास्टिक किसी न किसी रूप में हमारे पेट में जा रहा है. वैज्ञानिकों ने पहली बार दोहरे लेजर का उपयोग करके माइक्रोस्कोप द्वारा पता लगाया है कि बोतलबंद पानी के औसत लीटर में दो मिलियन से भी ज्यादा छोटे नैनोप्लास्टिक के अदृश्य टुकड़े होते हैं जो शरीर को बहुत नुकसान पहुंचाते हैं. यह शोध कोलंबिया एंड रटगर्स यूनिवर्सिटीज के शोधकर्ताओं द्वारा किया गया है.


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दिमाग के ब्लड सप्लाई पर पड़ सकता है असर - शोधकर्ताओं का कहना है कि चिंताजनक बात यह है कि यह छोटे कण शरीर के अलग अलग अंगों को प्रभावित कर सकते हैं और झिल्लियों को पार कर सकते हैं. यहाँ तक कि ये कण  यह ब्रेन में ब्लड सप्लाई को बाधित कर सकते हैं इससे दिमाग काम करना बंद कर देता है.


आँतों पर असर - दिमाग के साथ साथ ये कण पेट कि आँतों को भी प्रभावित करती हैं. नैनोप्लास्टिक्स आंतों में जमा हो सकते हैं और उन्हें ब्लॉक कर सकते हैं. इतना ही नहीं यह प्लास्टिक के कण यहां से आगे रक्त वाहिकाओं में पहुँच जाएं तो शरीर को और भी नुकसान हो सकता है.


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डैमेज हो सकते हैं फेफड़े - प्लास्टिक की बोतल में रखा हुआ पानी पीने से हमारे फेफड़े भी खराब हो सकते हैं. एल्वोलस फेफड़े का वह हिस्सा है जिसमें खून में ऑक्सीजन जारी करने और खून से कार्बन डाइऑक्साइड प्राप्त करने के लिए बड़े छिद्र होते हैं. प्लास्टिक के यह कण फेफड़ों में जाकर ब्लड-एयर बैरियर को बाधित कर सकते हैं जिससे सांस लेने में परेशानी हो सकती है. 


गर्भवती महिला के बच्चे पर असर - गर्भवस्था में किसी भी खान पान का सेवन बच्चे पर असर डालता है. प्लास्टिक की बोतल का पानी पीने से प्लास्टिक के छोटे कण प्लेसेंटा को प्रभावित कर सकते हैं. प्लेसेंटा  मां और भ्रूण को जोड़ने वाला अंग है. अगर प्लास्टिक के ये सुकडम अदृश्य कण प्लेसेंटा तक पहुँच जाए तो गर्भ में पल रहे शिशु को भी नुकसान पहुंचा सकते हैं.