सहारनपुर : सहारनपुर में आदमखोर कुत्तों का आंतक लगातार जारी है. पिछले चार दिन में जहां दो मासूम बच्चों को यहां आदमखोर कुत्तों ने अपना निवाला बनाया है तो वहीं तीसरा बच्चा गंभीर रूप से घायल है. आदमखोर कुत्तों से लोगों में न सिर्फ दहशत है बल्कि गुस्‍सा भी पनप रहा है.


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दरअसल, पूरा मामला सहारनपुर थाना बेहट इलाके के दयालपुर गांव का है. यहां आज एक बार फिर आदमखोर कुत्तों ने एक माह के मासूम को अपना निवाला बनाया है. बड़ी मन्नतों के बाद घर में बेटे का जन्म हुआ था. दिव्‍यांग मां-बाप अभी अपनी खुशी भी मना पाए थे कि आदमखोर बन चुके कुत्तों ने उस मासूम को अपना निवाला बना लिया. 


ऐसा ना था कि मां-बाप या गांव के लोग कुत्तों के इस आंतक से अनजान हों. कुत्तों के आंतक को जानते हुए ग्रामीण लाठी-डंडों के साथ पहरा दे रहे थे. बावजूद इसके घर के बाहर पहरा दे रहे लोगों को चकमा देकर आदमखोर कुत्ते छत के रास्ते घर में घुसे. इसके बाद वे मासूम को मुंह में दबा ले गए. घरवालों को इसकी भनक त‍क नहीं लगी. लेकिन एक महिला ने देखा और चिल्लाकर सभी को जगाया. कुत्तों का पीछा किया. जब तक बच्चे को कुत्ते के मुंह से छुड़ाया. बच्चा मौत की आगोश में समा चुका था.


आपको बता दें कि बेहट इलाके में कुत्तों का आतंक लगातार बढ़ता जा रहा है. आज सुबह करीब 3.30 बजे आदमखोर कुत्तों ने दिल दहला देने वाली घटना को अंजाम दिया है. घर मे अपनी माँ के साथ सो रहे 28 दिन के बच्चे को अपना निवाला बनाकर मौत के घाट उतार दिया. घटना के बाद परिजनों और ग्रामीणों ने कुत्ते का पीछा कर बच्चे को छुड़ा तो लिया लेकिन तब तक उसकी सांसें थम चुकी थीं. 


बताया जा रहा है कि ये बच्चा बड़ी मन्नतों से 17 साल बाद पैदा हुआ था. इतना ही नहीं, बच्चे को जन्म देने वाली मां जहां दिमागी रूप से कमजोर है तो वहीं पिता पैर से दिव्‍यांग है. दिल दहलाने वाली इस घटना के बाद परिजनों का रो रोकर बुरा हाल है. गांव में भी मातम पसरा हुआ है. लगातार पहरे के चलते एक अन्‍य 6 वर्षीय बच्चे को कुत्तों के मुंह से निकालने में ग्रामीण सफल रहे थे. गंभीर रूप से घायल हुए बच्चे को देहरादून इलाज के लिए ले जाया गया है.


आदमखोर कुत्तों के कारण लगातार हो रही घटनाओं के बाद पुलिस और जिला प्रशासन के खिलाफ जहां लोगों का गुस्सा फूट रहा है तो वहीं अधिकारियों की बड़ी लापरवाही भी देखने को मिल रही है. आखिर इतनी बड़ी घटना के बाद भी जिले का कोई अधिकारी कुछ बोलने को तैयार नहीं है. मृतकों के घर पहुंची पुलिस ने खानापूर्ति कर अपना काम तो निपटा लिया लेकिन ये नहीं देखा कि इस घटना का जिम्मेदार कौन है.