सैय्यद आमिर/रामपुर: जौहर विश्वविद्यालय (Mohammad Ali Jauhar University) से सरकारी चकरोड वापस लेने के आदेश के खिलाफ राजस्व परिषद पहुंची जौहर ट्रस्ट को झटका लगा है. सरकारी रास्ते पर कब्जे के मामले में अपील खारिज कर दी गई है. जिसके बाद अब जमीन जिला प्रशासन वापस ले सकता है और जौहर यूनिवर्सिटी की बाउंडरी वाल भी तोड़ी जा सकती है.


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बता दें कि, इस जमीन में टोटल 11 गाटे थे. इसमें सर्वाधिक संपत्ति के 0.863 हैक्टेयर इसका एक्सचेंज किया गया था, गाटा संख्या 670 से किया गया था. जिसको निरस्त कर दिया था. भाजपा नेता आकाश सक्सेना की शिकायत पर करीब 2 साल बाद सितंबर महीने में कमिश्नर मुरादाबाद ने माना था यह सब अधिकारियों की मिलीभगत से हुआ.
यह था पूरा मामला
20 सितंबर 2017 को भाजपा नेता आकाश सक्सेना की मुख्यमंत्री से की गई शिकायत पर तत्कालीन जिलाधिकारी शिव सहाय अवस्थी ने राजस्व बोर्ड परिषद इलाहाबाद में चार वाद दायर करवाए थे. दायर वादों में आकाश सक्सेना को निगरानी कर्ता के साथ-साथ वाद की पैरवी के लिए व्यक्तिगत एडवोकेट अपने खर्चे पर लड़ने की अनुमति प्रदान की गई थी. 3 अगस्त 2018 को राजस्व बोर्ड परिषद इलाहाबाद द्वारा वाद चलाने की अनुमति प्रदान की गई.


20 अगस्त 2018 को राजस्व बोर्ड परिषद के इस आदेश के विरुद्ध आजम खान ने उच्च न्यायालय इलाहाबाद में याचिका दायर की. जिसमें आजम खान ने जिलाधिकारी के साथ-साथ आकाश सक्सेना को भी प्रतिवादी बनाया. 26 अगस्त 2018 को उच्च न्यायालय ने राजस्व बोर्ड परिषद के उक्त फैसले को सही ठहराते हुए आजम खान की याचिका को खारिज कर दिया. 


23 जनवरी 2019 को राजस्व बोर्ड इलाहाबाद ने अपना फैसला सुनाते हुए उक्त वाद मुरादाबाद कमिश्नर को 4 सप्ताह के अंदर निस्तारण करने का आदेश दिया था. जिसके बाद कमिश्नर मुरादाबाद ने अपना फैसला लिया और एसडीएम द्वारा जौहर विश्वविद्यालय को दी गई सरकारी चकरोड के आदेश को निरस्त किया. साथ ही तत्कालीन लेखपाल के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई के निर्देश दिए. जिसके बाद जौहर ट्रस्ट ने दूसरी अपील राजस्व परिषद के सामने की थी. जिस आज खारिज कर दिया गया है.