Amroha News : देश की आजादी के लिए अपने प्राण न्योछावर करने वाले भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु के लिए देश के आज भी हर युवा का दिल धड़कता है. इसी कतार में शामली के विजय का भी नाम आता है, लेकिन इनके दिल में उनके लिए एक अलग ही जज्बा है. तभी तो इन वीर बलिदानियों को शहीद का दर्जा दिलाने की मांग लेकर ये नंगे बदन और खुद को बेड़ियों से जकड़ कर भारत भ्रमण पर निकले गए हैं. 


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अमरोहा पहुंचे विजय 
गुरुवार को अमरोहा पहुंचे विजय की झलक पाने के लिए भीड़ उमड़ पड़ी. विजय ने तहसील में शहीद का दर्जा दिलाने की मांग को लेकर एक ज्ञापन भी दिया. उनकी मांग है कि इन नेताओं को शहीद का दर्जा दिया जाए. विजय अब तक 1400 किलोमीटर की यात्रा कर चुके हैं और भारत भ्रमण जारी है. 


हंसते-हंसते फांसी पर चढ़ गए 
व‍िजय का कहना है कि आजादी के मतवाले, भारत मां के वीर सपूत, देशभक्ति का जुनून ऐसा कि 23 साल की उम्र में हंसते-हंसते फांसी के फंदे पर झूल गए. जिन्हें आप और हम शहीद-ए-आज़म भगत सिंह कहते हैं. मगर अफसोस है कि उन्हें शहीद का दर्जा नहीं दिया गया है. कई सरकारें आईं और कई सरकारें गईं, लेकिन किसी सरकार ने भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को शहीद का दर्जा नहीं दिया.


भारत भ्रमण पर निकले विजय 
कानूनी दस्तावेजों में आज भी उनके शहीद होने का कोई प्रमाण नहीं है. गौरतलब है कि भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव ने अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ जंग छेड़ी थी और 23 मार्च सन 1931 को तीनों क्रांतिकारियों को फांसी दे दी गई थी. वहीं, आजाद भारत का एक युवा विजय हिंदुस्तानी भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को शहीद का दर्जा दिए जाने की मांग को लेकर अपने शरीर को बेड़ियों से जकड़ कर नंगे पाव भारत भ्रमण यात्रा पर निकला है. 


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