मुंबईः अयोध्या मामले में फैसले के लिए सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को मध्यस्थता पैनल गठित कर दिया है. कोर्ट के इस फैसले पर राम मंदिर आंदोलन में अग्रणी भूमिका निभाने वाली शिवसेना ने तीखी प्रतिक्रिया दी है. शिवसेना प्रवक्ता संजय राउत ने कहा है कि कोर्ट ने आज जो फैसला दिया है वह पक्षकारों को मान्य नही है. उन्होंने कहा कि अब मामले को जितना टाला जा सके उतना टाला जा रहा है. संजय राउत ने कहा कि किसी को मध्यस्थ करना था या बनाना था या फिर आपसी बातचीत से हल निकालना था तो सैंकडों लोंगों की जाने क्यों चली गई. इसके बारे में सोचना होगा.


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राउत ने कहा, 'श्रीश्री रविशंकर निर्मोही अखाड़े का विरोध करते है. सुब्रमण्यम स्वामी का भी विरोध है. अब चुनाव राम मंदिर के मुद्दे पर होंगे ऐसे मुझे नहीं लगता. अब चुनाव में सिर्फ कश्मीर और आतंक का मुद्दा हावी रहेगी. अब यह मामला चुनाव के बाद ही आएगा.इसके लिए हम आश्वस्त है.'


शिवसेना नेता ने कहा, 'हमारी यह मांग है की सरकार ने 65 एकड़ जगह जो कि विवादित नहीं है, वह कब्जे में लेकर राम मंदिर बनाने की प्रक्रिया शुरू करनी चाहिए.'


एनसीपी ने अयोध्या भूमि विवाद पर न्यायालय के फैसला का किया स्वागत
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी ने अयोध्या राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद पर शुक्रवार को दिए गए उच्चतम न्यायालय के फैसले की सराहना करते हुए कहा कि सर्वसम्मति से मतभेदों का समाधान राष्ट्रीय हित में है.
प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने शुक्रवार को राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद की मध्यस्थता के लिए एक पैनल को भेज दिया. इस पैनल की अध्यक्षता शीर्ष अदालत के सेवानिवृत न्यायमूर्ति एफएमआई कलीफुल्ला करेंगे.


मध्यस्थता के लिये गठित समिति के अन्य सदस्यों में आध्यात्मिक गुरू श्री श्री रविशंकर और वरिष्ठ अधिवक्ता श्रीराम पांचू शामिल हैं. आवश्यकता हो तो, इसमें और सदस्य शामिल किए जा सकते हैं. उच्चतम न्यायालय ने पैनल को कार्यवाही पूरी करने के लिए आठ सप्ताह का समय दिया है. एनसीपी के प्रवक्ता नवाब मलिक ने एक बयान में कहा, ‘‘हम तीन सदस्यीय मध्यस्थ पैनल के गठन का स्वागत करते हैं. अगर विवाद सुलझ गया, तो यह देश हित में होगा. राष्ट्र को उम्मीद है कि यह मुद्दा सर्वसम्मति से हल किया जाएगा.’’


(इनपुट भाषा से भी)