कृष्ण जन्मभूमि विवाद पर फिर टली सुनवाई, अब इस तारीख को होगी अगली सुनवाई
श्री कृष्ण जन्मभूमि स्वामित्व मामले को लेकर मथुरा कोर्ट में सुनवाई हुई, करीब आधे घंटे चली सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता मनीष यादव के वकील से पूछा कि आप इतने समय तक कहां थे? और इतने समय बाद आपने क्यों जन्मभूमि मामले में याचिका दायर की?
कन्हैयालाल शर्मा/मथुरा: श्री कृष्ण जन्मभूमि स्वामित्व मामले को लेकर मथुरा कोर्ट में सुनवाई हुई, करीब आधे घंटे चली सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता मनीष यादव के वकील से पूछा कि आप इतने समय तक कहां थे? और इतने समय बाद आपने क्यों जन्मभूमि मामले में याचिका दायर की? इसके बाद याचिकाकर्ता के वकील ने कोर्ट से जवाब दाखिल करने के लिए समय की मांग की, जिसपर कोर्ट ने 15 जनवरी को अगली सुनवाई की तारीख तय की है.
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खुद को बताया श्री कृष्ण का वंशज
लखनऊ के रहने वाले मनीष यादव ने अपने आपको भगवान श्री कृष्ण का वंशज बताते हुए, मथुरा न्यायालय में याचिका दायर करते हुए कृष्ण जन्मभूमि की जमीन में बने मस्जिद को हटाने की मांग की है. उन्होंने दावे में पूर्व समझौते को गलत बताया है.
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कंडोलेंस की वजह से नहीं पाई सुनवाई
मथुरा न्यायालय में मनीष यादव के अधिवक्ता द्वारा 15 दिसंबर को सिविल सूट टायर किया गया था. जिसमें मथुरा सिविल जज सीनियर डिविजन की अदालत में 22 दिसंबर को कंडोलेंस होने की वजह से सुनवाई नहीं हुई, जिसके बाद सुनवाई की तारीख 4 जनवरी दी थी. 4 जनवरी को करीब आधे घंटे की सुनवाई के बाद न्यायालय ने आगामी 15 जनवरी सुनवाई की तारीख तय की है.
15 जनवरी को होगी अगली सुनवाई
आपको बतादें की सिविल जज सीनियर डिवीजन की अदालत ने याचिका कर्ता से लिमिटेशन एक्ट के तहत जानकारी मांगी ,न्यायालय ने याचिका कर्ता अधिवक्ता से पूछा कि वह इतने समय कहां रहे और क्यों इनके द्वारा इतने समय बाद श्री कृष्ण जन्मभूमि जमीन मामले में याचिका दायर की. जिसपर याचिका कर्ता अधिवक्ता द्वारा कोर्ट से जबाब दाखिल करने के लिए समय की मांग की जिसपर न्यायालय ने 15 जनवरी सुनवाई की तारीख दी है.
यह है मामला
दरअसल, 25 सितंबर 2020 को श्री कृष्ण जन्मभूमि की 13.37 एकड़ भूमि के स्वामित्व की मांग को लेकर याचिका दाखिल की गई थी. याचिका में श्री कृष्ण जन्मभूमि में बनी शाही ईदगाह मस्जिद को हटाने की भी मांग की गई है.
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यह एक्ट बन रहा है चुनौती
बता दे कि हिंदू पक्ष के तरफ से दायर याचिका में 'प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट 1991' को भी चुनौती दी गई है. एक्ट में देश में मौजूद धार्मिक स्थलों का स्वरूप 15 अगस्त 1947 के समय जैसा ही बनाए रखने का प्रावधान किया गया. इस एक्ट में सिर्फ अयोध्या मंदिर को ही छूट दी गई थी. यह कानून मथुरा में हिंदुओं को मालिकाना हक के लिए कानूनी लड़ाई में सबसे बड़ा रोड़ा साबित हो रहा है.
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