विकास दुबे को संरक्षण देने वालों पर अब शिकंजा!, जांच के दायरे में 1990 से तैनात पुलिसकर्मी
सूत्र बता रहे हैं कि कानपुर कांड की जांच कर रही स्पेशल इनवेस्टिगेशन टीम (SIT) ने 1990 से 2020 तक शिवली थाने में तैनात रहे पुलिसकर्मियों का ब्यौरा मांगा है.
कानपुर: 8 पुलिसकर्मियों के हत्यारे गैंगस्टर विकास दुबे को संरक्षण देने वाले पुलिसकर्मियों पर आने वाले वक्त में शिकंजा कस सकता है. सूत्रों के हवाले से खबर है कि विकास दुबे को शह देने वाले पुलिसकर्मियों का बच पाना मुश्किल है, क्योंकि पुलिस विभाग में छिपे भेदिए SIT जांच के दायरे में हैं.
सूत्र बता रहे हैं कि कानपुर कांड की जांच कर रही स्पेशल इनवेस्टिगेशन टीम (SIT) ने 1990 से 2020 तक शिवली थाने में तैनात रहे पुलिसकर्मियों का ब्यौरा मांगा है. SIT ने विकास दुबे और पुलिस कनेक्शन का पता लगाने के लिए शिवली थाने में तैनात रहे थानाप्रभारी, दारोगा, सीओ और सिपाहियों का मोबाइल नंबर समेत ब्यौरा मांगा है.
ऐसा माना जाता है कि विकास दुबे ने 1990 में ही क्राइम की दुनिया में कदम रखा था, इस बीच उसे कई रसूखदार लोगों के साथ-साथ पुलिसकर्मियों का संरक्षण मिला. शायद यही वजह रही जिसने विकास दुबे और उसके साथियों की हिम्मत इतनी बढ़ा दी कि उसने 2-3 जुलाई की रात 8 पुलिसकर्मियों की जान ले ली.
विकास दुबे को उस रात भी निलंबित SO विनय तिवारी और बीट अफसर केके शर्मा से CO देवेंद्र मिश्र के नेतृत्व वाली पुलिस पार्टी की जानकारी मिली थी. कितने पुलिस के जवान कब दबिश देने आ रहे हैं, इसकी पूरी जानकारी विकास दुबे को पहले से लग गई थी.