नई दिल्लीः केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि ताजमहल का हेरिटेज प्लान यूनेस्को को देने से पहले ड्राफ्ट तैयार हो चुका है, इसे आठ हफ्ते में फाइनल कर लिया जाएगा. विजन डॉक्यूमेंट ड्राफ्ट कमेटी की अधिकारी और स्कूल ऑफ प्लानिंग एंड आर्किटेक्चर की मीनाक्षी धोते ने कहा कि विजन डॉक्यूमेन्ट के बारे में ईमेल और कागजों पर सुझाव मिल रहे हैं. इसके साथ ही उन्होंने बताया कि एएसआई से भी इस बाबत बातचीत हो रही है, उनके एक्सपर्ट से बात करके सुझाव लिए जा रहे हैं.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

उन्होंने कहा कि अगले हफ्ते विजन डॉक्यूमेंट तैयार कर यूपी सरकार को दे देंगे. कोर्ट ने कहा कि विजन डॉक्यूमेंट मिलते ही उसे पब्लिक डोमेन में डाल दें. इस मामले पर अगली सुनवाई अगले साल फरवरी में होगी.उधर, यूपी सरकार ने विजन डॉक्यूमेंट को सीक्रेट बताया जिस पर कोर्ट ने कहा कि विजन डॉक्यूमेंट को पब्लिकली किया जाए.


केन्द्र की ओर से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ए एन एस नाडकर्णी ने पीठ से कहा कि ताजमहल के लिए धरोहर योजना के प्रथम प्रारूप को आठ सप्ताह के भीतर अंतिम रूप दिया जाएगा. यह प्रारूप यूनेस्को को सौंपा जाना है. शीर्ष अदालत ने 25 सितंबर को अपने आदेश में उत्तर प्रदेश सरकार के लिये 17 वीं सदी के इस प्राचीन स्मारक के संरक्षण के लिये दृष्टि पत्र पेश करने की अवधि 15 नवंबर तक बढ़ा दी थी. न्यायालय ने इसके आस-पास के एक हिस्से को ‘धरोहर’ घोषित करने पर भी विचार करने के लिये कहा था.


राज्य सरकार ने न्यायालय को सूचित किया था कि विजन डॉक्यूमेंट योजना तथा वास्तुकला विद्यालय तैयार कर रहा है और उसने इसे अंतिम रूप देने के लिये 15 नवंबर तक का समय देने क अनुरोध किया था. राज्य सरकार ने यह भी कहा था कि पूरे शहर को धरोहर घोषित करना मुश्किल होगा लेकिन ताजमहल, फतेहपुर सीकरी और आगरा किला स्थलों को शामिल करते हुये कुछ हिस्से को इसके दायरे में लाया जा सकता है.


न्यायालय विश्व प्रसिद्ध ताजमहल को वायु प्रदूषण से संरक्षण के लिये पर्यावरणविद अधिवक्ता महेश चन्द्र मेहता की जनहित याचिका पर सुनवाई कर रहा था. मेहता का आरोप है कि ताजमहल के आस-पास का हरित क्षेत्र छोटा हो गया है और यमुना के मैदानी क्षेत्र के भीतर और बाहर अतिक्रमण हो रहा है.


(इनपुट-भाषा)