26/11: फांसी के 6 साल बाद यूपी में `जिंदा` हुआ कसाब, जारी हुआ निवास प्रमाण पत्र
मामले की जांच शुरू की गई, तो संबंधित लेखपाल को निलंबित कर आतंकी कसाब की जाति और निवास प्रमाण पत्र को रद्द कर दिया गया है.
नई दिल्ली/औरैया: उत्तर प्रदेश के औरैया में अधिकारियों की बड़ी लापरवाही का मामले सामने आया है. मुंबई हमले 26/11 के दोषी अजमल कसाब को 21 नवंबर 2012 को फांसी दे दी, लेकिन उत्तर प्रदेश के ओरैया जिले के प्रशासन के रिकॉर्ड में कसाब अभी जिंदा है. उसके जिंदा होने के सबूत उसके निवास और जाति प्रमाण-पत्र जारी होने से सामने आया है. आतंकी अजमल कसाब का कथित तौर पर निवास और जाति प्रमाण-पत्र जारी होने का मामले ने अधिकारियों के होश उड़ा दिए. मामले की जांच शुरू की गई, तो संबंधित लेखपाल को निलंबित कर आतंकी कसाब की जाति और निवास प्रमाण पत्र को रद्द कर दिया गया है.
मामले की गंभीरता को देखते हुए जिले के अधिकारियों ने प्रारंभिक स्तर की जांच करने के बाद कसाब को जारी निवास प्रमाण-पत्र रद्द करने के साथ ही संबंधित लेखपाल को निलंबित कर दिया है. अधिकारियों ने मामले की जांच के आदेश दिए हैं. मामले की जांच कर रहे एसडीएम प्रमेंद्र सिंह बिधूना ने बताया कि अजमल कसाब के नाम से एक निवास प्रमाण-पत्र जारी किया गया था. उन्होंने बताया कि किसी अज्ञात व्यक्ति ने फर्जी दस्तावेजों के आधार पर ऑनलाइन आवेदन किया था.
एसडीएम ने बताया कि इस अनियमितता के लिए जांच के आदेश दे दिए गए हैं. उन्होंने कहा कि जांच में अनियमितता मिलने पर हमने तहसील कार्यालय में तथ्यों की जांच की. हमने पाया कि उसमें दिया गया पता फर्जी है. हमारे अनुरोध पर राष्ट्रीय सूचना केंद्र (एनआईसी) ने उसका निवास प्रमाण-पत्र रद्द कर दिया है. अधिकारी ने बताया कि जिस लेखपाल के सत्यापन रिपोर्ट पर निवास प्रमाण-पत्र जारी किया गया था, हमने उस संबंधित लेखपाल को निलंबित कर दिया है.
प्रमाण पत्र में कसाब का जन्म स्थान बिधूना बताया गया है और माता-पिता के नाम के तौर पर मुमताज बेगम एवं मोहम्मद आमिर के नाम दर्ज हैं. इस घटना से यूपी सरकार की सक्रियता पर सवालिया निशान लग रहे हैं. मामले के बाद इस बात का खुलासा हो गया कि यूपी के सरकारी दफ्तरों में चंद रुपये देकर कोई भी किसी का फर्जी सर्टिफिकेट बनवा सकता है.
आपको बता दे कि पाकिस्तान से समुद्र मार्ग से मुंबई में दाखिल हुए 10 आतंकवादियों ने आर्थिक राजधानी पर कहर बरपाया था. आतंकवादियों के इस हमले में 166 लोगों की मौत हुई थी जबकि कई लोग घायल हुए थे. सुरक्षाबलों की कार्रवाई में सभी आतंकवादी मारे गए जबकि अजमल कसाब जिंदा पकड़ा गया और महाराष्ट्र के यरवदा जेल में 21 नवंबर साल 2012 को फांजी दी गई थी.