नई दिल्ली: राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने बिना जरूरी मंजूरी के विधानसभा की नयी इमारत का निर्माण शुरू करने के लिए उत्तराखंड सरकार की आज कडी आलोचना की. अधिकरण के अध्यक्ष न्यायमूर्ति स्वतंत्र कुमार की अध्यक्षता वाली पीठ ने राज्य सरकार से पूछा कि पर्यावरण मंजूरी मिले बिना परियोजना पर काम कैसे शुरू कर दिया गया. हालांकि, अधिकरण ने इसके लिये पर्यावरण जुर्माना नहीं लगाया.


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सुनवाई के दौरान राज्य सरकार ने अधिकरण को सूचित किया कि उसने जरूरी मंजूरी के लिए आवेदन किया है और उसने मामले को स्थगित करने का अनुरोध किया. राज्य सरकार के वकील ने कहा कि विधानसभा के सचिव देश से बाहर थे, इसलिए मामले में और अधिक समय दिया जाना चाहिए.


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इसके बाद पीठ ने मामले की सुनवाई 24 नवंबर के लिए निर्धारित की. इससे पहले, राज्य विधानसभा की नयी इमारत के निर्माण पर रोक लगाने की मांग वाली एक याचिका पर अधिकरण ने पर्यावरण और वन मंत्रालय एवं उत्तराखंड सरकार को नोटिस जारी किये थे. याचिका में कहा गया है कि परियोजना के लिए जरूरी मंजूरी नहीं ली गयी.


याचिका में दलील दी गयी थी कि उत्तराखंड के चमोली जिले के गैरसैंण इलाके में परियोजना बिना पर्यावरण मंजूरी लिये ही शुरू कर दी गयी और हिमालय के पर्यावरण नाजुक क्षेत्र में वायु (प्रदूषण रोकथाम और नियंत्रण) कानून 1981 और जल (प्रदूषण रोकथाम और नियंत्रण) कानून 1974 के तहत मंजूरी और सहमति जरूरी है.