Chandrayaan-3 Landing Live Streaming Free in Hindi: चंद्रयान-3 ने बुधवार शाम को चंद्रमा की सतह पर उतरने के साथ ही इतिहास रच दिया. भारत इसी के साथ दुनिया में चौथा ऐसा देश बना है, जिसके किसी यान ने चंद्रमा की सतह पर कदम रखा हो. लेकिन भारत की कामयाबी इस मायने में अहम है कि चंद्रयान ने चंद्रमा के बेहद दुर्गम इलाके साउथ पोल में लैंडिंग की है, जहां इससे पहले कोई भी नहीं पहुंच पाया. चंद्रयान ने चौथे चरण की सफलता के साथ चांद पर अपना कदम रख दिया है. 



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पीएम मोदी ने चंद्रमा पर भारत की सफलता के बाद, मोदी मेरे प्यारे परिवारजनों जब हम अपनी आंखों के सामने ऐसा इतिहास बनते देखते हैं तो जीवन धन्य हो जाता है. ये बढ़ते भारत का शंखनाद है. मोदी ने कहा, चंदामामा दूर के की जगह अब बच्चे कहेंगे चंद्रमा मामा टूर के. उन्होंने कहा कि ये 140 करोड़ देशवासियों के लिए सम्मान की बात है. पीएम मोदी ने कहा कि भारत के कदम यहीं नहीं रुकेंगे, बल्कि हम मंगल औऱ शुक्र ग्रह की ओर अपने कदम भी आगे बढ़ाएंगे. 


चंद्रयान ने 5.45 बजे करीब रफ लैंडिंग शुरू की और ग्रीन सिग्नल बता रहे थे कि वो सही दिशा में है. चार चरणों में उसकी स्पीड धीरे-धीरे कम की गई. उस वक्त वो करीब 30 किलोमीटर और पहले चार मिनट में पहला फेज पूरा करते हुए उसे नीचे लाया गया. सेकेंड फेज में उसकी स्पीड, ऊंचाई को और कम किया गया. तीसरे चरण में स्पीड को बेहद कम किया गया और उसे चंद्रमा की सतह पर उतरने के लिए निर्णायक तरीके से काम किया गया. 



शाम 5.55 बजे चंद्रयान की स्पीड को घटाकर 70 किलोमीटर प्रति घंटे किया गया और उसे सतह से महज 10 किलोमीटर ऊपर लाया गया. इसरो ने बताया कि विक्रम लैंडर बिना कमांड के सही तरीके से काम कर रहा था. लैंडर ने दूसरा चरण भी सफलतापूर्वक पूरा किया और वो सतह से महज तीन किमी दूर था. लैंडर और रोवर के सेंसर भी पूरी तरह से काम कर रहे थे.


फिर तीसरे चरण में ऊंचाई को चंद्रमा की सतह से 800 मीटर पर लाया गया. इसके साथ ही चंद्रयान की गति को घटाकर 21 किलोमीटर प्रति घंटा पर लाया गया. वो महज एक किलोमीटर दूर रह गया था चंद्रयान से. इसके साथ ही चंद्रयान चंद्रमा की सतह पर एकदम सीधी दिशा में आ गया और फिर 50 मीटर के करीब आने के साथ ही वो 6.04 बजे सफलतापूर्वक लैंड कर गया. 


इसरो के मुख्य वैज्ञानिक सोमनाथ ने कहा कि किरण कुमार, वैज्ञानिक कोटेश्वर राव और टीम के अन्य वैज्ञानिकों ने मिलकर असंभव को संभव कर दिखाया है. इसरो के पूर्व मुख्य वैज्ञानिक के सिवन ने कहा कि ये हमारे लिए गर्व की बात है.