Ramcharitmanas Controversy: समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) के एमएलसी स्वामी प्रसाद मौर्य (Swami Prasad Maurya) रामचरितमानस पर विवादित बयान देने के बाद लगातार चर्चा में बना हुए हैं. इस बयान के बाद से लगातार सपा नेता के खिलाफ विरोध हो रहा है. सत्ताधारी पार्टी भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) भी लगातार सपा पर हमला बोल रही है. अब इस विवाद में सीएम योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) की प्रतिक्रिया आई है. पहली बार सीएम योगी ने इस मुद्दे पर बयान दिया. 


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मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने विवादित बयान देने वालों पर नाराजगी जताते हुए कहा कि व्यर्थ के मुद्दों को उठाकर समाज का माहौल खराब करने की कोशिश की जा रही है. ओबीसी समाज पहले भी हिन्दू ही था आज भी हिन्दू ही है. अनावश्यक रूप से एक नई बहस को जन्म देने का प्रयास किया गया है. 


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सरकार के कामों से लोगों का ध्यान भटकाने के लिए बनाया जा रहा मुद्दा
सीएम योगी ने कहा कि जिन्होंने यूपी की छवि को पहले नुकसान पहुंचाया. यहां के युवाओं के लिए पहचान का संकट पैदा किया और लोगों को परेशान होने दिया, वे ही अब खुद परेशान होकर रामचरितमानस को लेकर विवाद कर रहे हैं. उन्होंने आगे कगा कि सरकार द्वारा किए गए विकास के कामों और निवेश जैसे मुद्दों से लोगों का ध्यान भटकाने के लिए ऐसा किया जा रहा है. 


अखिलेश यादव पर किया पलटवार
इस दौरान अखिलेश यादव के शूद्र वाले सवाल पर भी सीएम योगी ने पलटवार किया. वहीं, विवाद खड़ा करने वालों को आप चौपाइयों का अर्थ क्यों नहीं बताते. इस सवाल के जवाब पर सीएम योगी ने कहा कि जिनको भाषा का पता नहीं है, उनको समझाने की कोशिश करना समय की बर्बादी है. मैं उन्हें जवाब दूंगा जब उन्हें मेरे जवाब की जरूरत होगी. जवाब उन्हें देना चाहिए जो जवाब को समझ सकें. अराजकता पैदा करने वालों को क्या जवाब दिया जाए. 


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सपा ने चौपाइयों को हटाने की मांग की 
समाजवादी पार्टी प्रवक्ता एवं पूर्व एमएलसी सुनील सिंह साजन स्वामी प्रसाद मौर्य के समर्थन में उतर आए हैं. उन्होंने भी रामचरितमानस की कुछ चौपाइयों को हटाने की मांग की है. उन्होंने कहा कि सपा और समाजवादी कभी रामचरितमानस के विरोध में नहीं रहे हैं. रामचरितमानस में 1-2 चौपाई ऐसी हैं, जिससे हिंदू समाज का बड़ा तबका आहत होता है. उन चौपाइयों से महिलाएं, पिछड़े ,दलित और वंचित समाज के लोग आहत होते हैं. मुझे लगता है उसको हटा देना चाहिए. मुझे यह भी भरोसा है कि गोस्वामी तुलसीदास जी होते उनको लगता कि हिंदुओं का बड़ा तबका उनकी इस बात से आहत है तो वो खुद रामचरितमानस से इन चौपाइयों को हटा देते.