Delhi AIIMS: छाती-पेट से जुड़ी बच्चियों को अलग करने का चमत्कार, एम्स में हुआ ऑपरेशन
Delhi AIIMS Doctors Separate Conjoined Twins Sisters: दिल्ली एम्स के डॉक्टरों ने किया कमाल, गर्भ से जुड़ी जुड़वा बहनों को किया अलग. जानें कैसे सफल हई ये सर्जरी?...
Pooja Makkad/ New Delhi: उत्तर प्रदेश, बरेली के रहने वाले अंकुर गुप्ता और उनकी पत्नी दीपिका गुप्ता के लिए आज का दिन चमत्कार जैसा था. आज जब उनको पता चला कि उनके जुड़वा बच्चे अलग हो गए हैं तो उनकी खुशी का ठिकाना नहीं था. दिल्ली एम्स के डॉक्टरों ने जन्म से जुड़ी हुई इन दोनों बच्चियों को नया जन्म दिया है. इन दोनों मासूमों का नाम रिद्धि और सिद्धि रखा गया है.
खबर विस्तार से
दरअसल बरेली के रहने वाले अंकुर गुप्ता और दीपिका गुप्ता के घर पिछले वर्ष जुलाई में दो बेटियों की किलकारी तो गूंजी, लेकिन साथ ही आई एक अनोखी परेशानी. जुलाई 2022 में चप्पल विक्रेता अंकुर गुप्ता के घर में जुड़वा बच्चियों का जन्म हुआ. यह बच्चियां पेट से आपस में जुड़ी हुई थी. जन्म के समय इनका कुल वजन 3200 ग्राम था. लगभग 1 वर्ष के बाद इन बच्चियों को सर्जरी के जरिए अलग करने में दिल्ली के एम्स अस्पताल के डॉक्टरों ने कामयाबी हासिल कर ली है.
कितने डॉक्टरों ने किया यह चमत्कार
दिल्ली एम्स के द्वारा जानकारी दी गई कि इस ऑपरेशन को करने में डॉक्टरों को साढ़े 12 घंटे का वक्त लगा. ऑपरेशन की टीम कितनी लंबी चौड़ी थी अब आप यह गिन लीजिए. इस टीम की अगुवाई बाल रोग विभाग के निदेशक डॉक्टर मीनू बाजपेई कर रहे थे. इस सर्जरी के लिए 5 सीनियर डॉक्टर, 6 रेजिडेंट डॉक्टर, 6 एनएससिया के एक्सपर्ट, 12 नर्सिंग स्टाफ और 2 ओटी टेक्निशियन यानी कुल मिलाकर 31 लोगों की टीम ने काम किया.
कब से हो रही है तैयारी
जून में ऑपरेशन करने के बाद डॉक्टरों ने इन बच्चों पर लगातार नजर बनाए रखी. ऑपरेशन के बाद दोनों बच्चों का कुल वजन 15 किलोग्राम था जो कि बाद में भी नहीं घटा. डॉक्टरों के लिए यह राहत की बात थी. यह बच्चियां आपस में एक दूसरे के चेहरे को फेस कर रही थी, लेकिन अब यह बच्चियां 1 वर्ष की हो चुकी हैं. ये दोनों बच्चियां अपना पहला जन्मदिन सेहतमंद तरीके से मनाने के लिए तैयार हैं. जल्द ही इन बच्चों को एम्स से छुट्टी दी जाने वाली है.
जोखिम भरा था ऑपरेशन
इन दोनों बच्चियां की छाती आपस में जुड़ी हुई थी और इनका एक ही कॉमन लीवर था. इसके अलावा इनके दिल को कवर करने वाली त्वचा की लेयर भी कॉमन थी. इसलिए यह ऑपरेशन करना काफी जोखिम का काम था, लेकिन अपने पुराने अनुभवों के आधार पर डॉक्टरों ने इस मुश्किल सर्जरी को कामयाबी से अंजाम दे दिया. पिछले 3 वर्षों में डॉक्टरों ने दो और अलग-अलग जुड़वा बच्चों को अलग करने का काम किया है. ये बच्चे कूल्हे से जुड़े हुए थे.