Facebook Privacy Policy Change Viral News: पूर्वी उत्तर प्रदेश में एक समय मुंह नोचवा के किस्से खूब चर्चा में थे. इसको लेकर कई किस्म की कहानियां सुनने को मिलतीं, कोई कहता यह लोमड़ी जैसा जानवर है जो अंधेरे में लोगों का मुंह नोच लेता है. तो कहीं कहा जाता यह हमला कर भाग जाता है. इसको लेकर खूब फर्जी किस्से गढ़े गए. इसके बाद आया इंटरनेट का जमाना. लोगों पर इसकी खुमारी चढ़ ही रही थी कि मिल गया वॉट्सऐप. जिस पर मैसेज भेजने की कोई लिमिट नहीं थी. फिर क्या. कुछ भी किसी ने भेजा उसे उठा कर तुरंत दूसरे को चिपका दिया.


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'ये मैसेज 10 लोगों को फॉरवर्ड करो वरना आपके साथ बुरा होगा', इस मैसेज को भेजो बैटरी चार्ज हो जाएगी, इस मैसेज को भेजने से सांप बड़ा हो जाएगा. '' इस तरह के मैसेज की रेल लगी रहती थी. बिना इसके बारे में जाने कोई भी आंख मूदकर बस इसे बस अंधाधुंध भेजने में लग जाता था. वक्त बदला लेकिन नहीं बदला तो इन फेक न्यूज का वायरल होना. ऐसा ही एक मैसेज आजकल फेसबुक पर खूब शेयर किया जा रहा है. 


फेसबुक खोला ही था कि एक भाई साहब की पोस्ट दिखी. लिखा था, मैं (नाम) फेसबुक को अपनी तस्वीरों, अपनी जानकारी या अपने प्रकाशनों, अतीत और भविष्य दोनों, मेरी या जहां मैं दिखाई देता हूं, का उपयोग करने की अनुमति नहीं देता हूं। इस कथन के अनुसार, मैं फेसबुक को अपना नोटिस देता हूं, इस प्रोफ़ाइल और/या इसकी सामग्री के आधार पर मेरी जानकारी, फ़ोटो का खुलासा करना, कॉपी करना, वितरित करना, देना, बेचना या मेरे खिलाफ कोई अन्य कार्रवाई करना सख्त वर्जित है। इस प्रोफ़ाइल की सामग्री निजी है और गोपनीय जानकारी। गोपनीयता का उल्लंघन कानून द्वारा दंडित किया जा सकता है (यूसीसी 1-308-1 1 308-103 और रोम क़ानून)।


नोट: फेसबुक अब एक सार्वजनिक संस्था है। सभी सदस्यों को इस तरह का एक नोट अवश्य पोस्ट करना चाहिए। यदि आप चाहें, तो आप इस संस्करण को कॉपी और पेस्ट कर सकते हैं। यदि आप कम से कम एक बार कोई बयान प्रकाशित नहीं करते हैं, तो आपने अपनी तस्वीरों के उपयोग की अनुमति देने के साथ-साथ प्रोफ़ाइल की स्थिति के अपडेट में निहित जानकारी के लिए मौन सहमति दे दी है। सांझा ना करें। आपको कॉपी करना होगा।''


इस लंबे चौड़े मैसेज को सही मानकर लोग इसे कॉपी-पेस्ट करने में जुट गए. टाइमलाइन देखी तो इस मैसेज की रेल बन चुकी थी. वॉट्सएप यूनिवर्सिटी से पीएचडी करने वालों से लेकर पढ़े-लिखे लोगों तक, हर कोई इस मैसेज के माध्यम से फेसबुक को फरमान जारी कर रहा था कि खबरदार जो आपने हमारी जानकारी कहीं लीक कर दी. लोगों ने इस काम को निपटाकर ऐसा फील किया मानों उन्होंने किसी त्रासदी को आने से टाल दिया हो. अगर यही काम उन्होंने इस वायरल मैसेज की सच्चाई जानने के लिए किया होता तो शायद इसकी नौबत नहीं आती.


फैक्ट चेक 
सबसे पहले स्पष्ट कर दें कि इंटरनेट पर जांच-पड़ताल के बाद हमें इस तरह की कोई खबर नहीं मिली और न ही फेसबुक की ओर से जारी किया गया बयान मिला जिससे की यह पुष्टि होती हो कि फेसबुक अपनी प्राइवेसी पॉलिसी बदलने जा रहा है. फेसबुक पर वायरल हो रहा यह वायरल मैसेज एकदम फर्जी है. यह पहला मौका नहीं है, इसे पहले भी इसे कोविड से लेकर अलग-अलग समय पर सप्लाई किया जाता है. वक्त के साथ लोग इसे भूल जाते हैं और इसके बाद ऐसे फर्जी मैसेज का जिन्न दोबारा निकल आता है. 2012 में फेसबुक ने इसका खंडन भी किया था. फेसबुक के न्यूजरूम सेक्शन में 27 नवंबर, 2012 का बयान है,  जिसमें फेसबुक ने इस तरह के वायरल मैसेज को अफवाह बताया है.


अगर आप वाकई प्राइवेसी को लेकर इतने ज्यादा चिंतित हैं तो कॉपी-पेस्ट के चक्कर में न पड़कर उसके बारे में जानने की कोशिश करें. आपके स्मार्टफोन में ही न जाने कितने ऐसे थर्ड पार्टी एप होंगे, जिनकी टर्म एंड कंडीशन को पढ़े बिना उनको आपनी जानकारियां साझा कर रखी होंगी.