The Gyanvapi Case And History: 100 साल से भी पुराना है ज्ञानवापी केस, जानें 1919 से लेकर अब तक की कानूनी लड़ाई में क्या क्या मोड़ आए
Gyanvapi Case History: ज्ञानवापी केस पर पूरे देश की निगाहें टिकी हुई हैं. साल 1919 से लेकर 2023 तक यह मामला कानूनी दांव पेंच में उलझा हुआ है. कभी मुस्लिमों को पूरे ज्ञानवापी परिसर में नमाज पढ़ने की अनुमति दी गई तो कभी गौरी पूजन की अनुमति मांगी गई. यहाँ विस्तार से जानें इस मामले में अब तक क्या हुआ.
The Gyanvapi Case And History: ज्ञानवापी मस्जिद विवाद इन दिनों फिर चर्चा का विषय बना हुआ है. एएसआई को एक महीने के अंदर सर्वे की रिपोर्ट अदालत में सौंपनी है. इसके बाद ही कोर्ट किसी अंतिम नतीजे पर पहुंचेगा. अब तक हिन्दू और मुस्लिम दोनों पक्ष कानूनी लड़ाई लड़ते आ रहे हैं. हिन्दुओं का कहना है कि यहाँ शिवमंदिर और शिवलिंग था जिसे तोड़कर यहाँ मस्जिद बनाई गई. वहीं मुस्लिम पक्ष का दावा है कि ज्ञानवापी शुरू से ही मस्जिद है यहाँ पर मंदिर कभी था ही नहीं. इस मामले पर कई वर्षों से विवाद जारी है. यहाँ जानें की अब तक क्या क्या हुआ.
साल 1669 - हिन्दू पक्ष का दावा है कि साल 1669 में ही मुगल शाशक औरंगजेब के कहने पर यहाँ शिव मंदिर ढहा दिया गया और उसकी जगह पर मस्जिद बना दी गई. हिन्दू पक्ष इसी बात को साबित करने के लिए कानूनी लड़ाई लड़ रहा है.
साल 1919 - इस मामले में सबसे पहली याचिका स्वयंभू ज्योतिर्लिंग भगवान विश्वेश्वर नाथ की तरफ से वाराणसी जिला कोर्ट में दायर की और यहाँ शिव गौरी पूजा करने की अनुमति मांगी.
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साल 1936 - इस साल तीन मुस्लिम याचिकाकर्ताओं ने पूरे ज्ञानवापी परिसर को मस्जिद का हिस्सा माने के लिए मांग की. इस मामले के बाद यहाँ मुस्लिमों का सामित्व बढ़ गया और उन्हें पूरे परिसर में नमाज अता करने का अधिकार मिल गया. इस साल से ज्ञानवापी का विवाद बढ़ने लग गया,
साल 1942 - यह साल ज्ञानवापी मामले में हिन्दुओं के लिए निराशा लाया. इलाहबाद हाईकोर्ट में जब हिन्दुओं ने यह मामला रखा तो कोर्ट ने वाराणसी जिला अदालत का निर्णय बरकरार रखा और हिन्दुओं को परिसर में पूजा का अधिकार नहीं मिला.
साल 1991 - इस साल सिविल कोर्ट में प्राचीन मूर्ति स्वयंभू लॉर्ड विश्वेश्वरनाथ व अन्य बनाम अंजुमन इंतेजामिया मस्जिद कमेटी व अन्य का वाद दाखिल किया गया. हिंदू पक्ष ने मांग की कि उन्हें अपने मंदिर का जीर्णोद्धार और पुनर्निर्माण करने की अनुमति दी जाए.
साल 2019 - इस साल स्वयंभू ज्योतिर्लिंग भगवान विश्वेश्वर की ओर से अधिवक्ता विजय शंकर रस्तोगी ने वाराणसी जिला अदालत में याचिका दर्ज करते हुए पूरे ज्ञानवापी मस्जिद क्षेत्र का पुरातत्व सर्वेक्षण कराने की मांग की.
साल 2020 - अंजुमन इंतेजामिया मस्जिद कमेटी मस्जिद प्रबंधन ने एएसआई सर्वेक्षण की मांग करने वाली याचिका का विरोध किया और सुनवाई फिर से शुरू करने का अनुरोध किया.
साल 2021 - वाराणसी कोर्ट ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण को सर्वे करने और उसके नतीजों को कोर्ट के सामने रखने का आदेश दिया. मुस्लिम पक्ष ने इसका विरोध किया. हाई कोर्ट ने सभी पक्षों को सुनने के बाद सर्वे पर अंतरिम रोक लगा दी. इसी साल फिर से मामला कोर्ट पहुंचा जब हिन्दू पक्ष ने यहाँ श्रृंगार गौरी और नंदी पूजन का अधिकार माँगा साथ ही यहाँ मुस्लिम पक्ष को ज्ञानवापी क्षेत्र में मौजूद मूर्तियों को नुकसान पहुंचाने से रोकने की भी मांग उठी.
साल 2022 - हिन्दू पक्ष की याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने अप्रैल 2022 में काशी विश्वनाथ-ज्ञानवापी परिसर और उसके आसापास एएसआई को वीडियोग्राफी करने का आदेश दिया. लेकिन अगले ही महीने मस्जिद कमेटी के विरोध के बाद सर्वे बीच में रोकना पड़ा. हिन्दू पक्ष की अपील के बाद सुवे फिर शुरू हुआ हिन्दूपक्ष के शिवलिंग मिलने के दावे के बाद यह विवादित क्षेत्र सील कर दिया गया.
2023 - कोर्ट ने ने सील वजूखाने को छोड़कर ज्ञानवापी परिसर में सर्वे का आदेश दिया था और चार अगस्त तक रिपोर्ट देने को कहा था. लेकिन मस्जित कमेटी सुप्रीम कोर्ट पहुँच गई. उनके विरोध के बाद सर्वे फिर रोकना पड़ा. इसी साल अगस्त में वाराणसी की ज्ञानवापी मस्जिद पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया. कोर्ट ने अंजुमन इंतजामिया मस्जिद कमेटी की याचिका को खारिज करते हुए ज्ञानवापी मस्जिद में सर्वे करने की अनुमति दे दी. अब सितम्बर में इस सर्वे की रिपोर्ट कोर्ट में जमा की जाएगी. उसके बाद ही न्यायलय किसी फैसले पर पहुंचेगा.
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