ISRO Aditya L1 Mission Launch: चांद के दक्षिणी ध्रुव पर चंद्रयान-3 की सफल लैंडिंग के बाद सूर्य की स्टडी के लिए ISRO ने अपने पहले का आगाज कर दिया है. ISRO की ओर से सूर्य की स्टडी के लिए अपना पहला मिशन भेज दिया है. आदित्य L1 नाम के इस मिशन को PSLV-C57 रॉकेट से सुबह 11 बजकर 50 मिनट पर श्री श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्पेस सेंटर से सफलतापूर्वक लॉन्च कर दिया गया.


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4 महीने बाद शुरू होगी स्टडी


यह स्पेसक्राफ्ट लॉन्च होने के बाद करीब 4 महीने बाद यानी 109 दिन के बाद लैगरेंज पॉइंट-1 (L1) तक जाएगा और वहीं से यह सूर्य की स्टडी करेगा. इस पॉइंट की खास बात ये है कि यहां पर ग्रहण का प्रभाव नहीं पड़ता है जिससे स्पेसक्राफ्ट को अपना काम करने में कोई कठिनाई नहीं होगी. 378 करोड़ रुपए मिशन की अनुमानित लागत बताई जा रही है. 


लॉन्चिंग के बाद 


लॉन्चिंग के बाद आदित्य-एल1 करीब करीब 15 लाख किलोमीटर की यात्रा करेगा और तब जातक वह अपनी तय जगह पर पहुंचेगा. उसकी तय जगह सूरज से 14 करोड़ 85 लाख किलोमीटर की दूरी पर है. यहां पर गौर करना होगा कि चांद की दूरी से करीब करीब चार गुना अधिक की दूरी पर यानी 15 लाख किलोमीटर की दूरी पर हमारा सूर्ययान स्थित होगा. लॉन्चिंग रॉकेट PSLV-XL था जिसका नंबर PSLV-C57 है और इसी ने सूर्ययान को लॉन्च किया है.


भारत में ही बने हैं पेलोड


आदित्य L-1 अपने इस मिशन पर रहते हुए सूरज से जुड़े कई पहलुओं की स्टडी करेगा. आदित्य L-1 सूर्य के अलग अलग तरंग बैंडों में प्रकाशमंडल के साथ ही क्रोमोस्फीयर व सूर्य की सबसे बाहरी परतों की स्टडी करेगा. वह सात पेलोड ले गया जोकि अपने ही देश में बनाए गए हैं. इन पेलोड में बेंगलुरु स्थित इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एस्ट्रोफिजिक्स (IIA) के बनाए गए विजिबल एमिशन लाइन कोरोनाग्राफ पेलोड (VELC), इसके अलावा पुणे स्थित इंटर-यूनिवर्सिटी सेंटर फॉर एस्ट्रोनॉमी एंड एस्ट्रोफिजिक्स (IUCAA) के बनाए गए सोलर अल्ट्रावायलेट इमेजिंग टेलीस्कोप (SUET) को भी जोड़ा गया है. एक्स-रे पेलोड, पार्टिकल डिटेक्टर व मैग्नेटोमीटर पेलोड भी आदित्य L-1  से जुड़े हुए हैं. 


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