शुभम पाण्डेय/लखनऊ: यूपी के लखनऊ से एक अजीब मामला सामने आया है. यहां पर एक शख्स ने कोविशील्ड की वैक्सीन लगवाई, लेकिन  उसमें एंटीबॉडी डेवेलप होती नहीं दिखीं. इस बात से नाराज व्यक्ति ने थाने जाकर इसे तैयार करने वाली कंपनी (Serum Institute of India) के खिलाफ तहरीर दी है. 


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इन लोगों के खिलाफ की शिकायत
लखनऊ के आशियाना में रहने वाले प्रताप चंद्रा ने आरोप लगाया है कि कोविशील्ड की पहली डोज लगने के बाद उनकी बॉडी में एंटी बॉडी आ जानी चाहिए थीं, जो कि अब तक नहीं आई हैं. इसे प्रताप चंद्र ने धोखा बताया है और इसलिए इसे बनाने के लिए जिम्मेदार कंपनी सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया और उसके मालिक अदार पूनावाला के खिलाफ ACP कैंट से शिकायत की है. चंद्रा का कहना है कि इस वैक्सीन को मंजूरी देने वाले संस्थान (ICMR के निदेशक बलराम भार्गव और WHO), ड्रग कंट्रोल डायरेक्टर और स्वास्थ्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव लव अग्रवाल सहित वैक्सीन बनाने वाली कंपनी और उसके मालिक के खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए.


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जांच के लिए CMO को भेजा गया
प्रताप चंद्र ने तहरीर में धोखाधड़ी और जान से मारने के प्रयास का मुकदमा दर्ज करने लिए कहा है. वहीं, ACP कैंट अर्चना सिंह ने जानकारी दी थी कि मामले की जांच के लिए सीएमओ को भेजा जा रहा है. 


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टेस्ट में नहीं मिली एंटीबॉडी
चंद्रा ने कहा कि वैक्सीन की पहली खुराक मिलने के बाद उन्हें कमजोरी और अस्वस्थता महसूस हुई. मीडिया में आईसीएमआर के महानिदेशक बलराम भार्गव के उद्धरणों का हवाला देते हुए उन्होंने कहा था कि कोविशील्ड की पहली खुराक के बाद शरीर में एंटीबॉडी के अच्छे स्तर का उत्पादन होता है. चंद्रा ने सरकार द्वारा अनुमोदित प्रयोगशाला से एक कोविड एंटीबॉडी जीटी परीक्षण लिया. परीक्षण के परिणाम से पता चला कि शिकायतकर्ता ने कोविड 19 के खिलाफ कोई एंटीबॉडी विकसित नहीं की थी, बल्कि उसके प्लेटलेट्स 3 लाख से घटकर 1.5 लाख हो गए थे.


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