UCC Bill Uttarakhand: उत्तराखंड यूसीसी के समर्थन में उतरे कई मुस्लिम धर्मगुरु, मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड भड़का
UCC Bill Uttarakhand: उत्तराखंड विधानसभा में यूनिफॉर्म सिविल कोड विधेयक को पेश कर दिया गया है. यूसीसी बिल को पेश किए जाने के बाद से देश भर से धर्मगुरुओं और राजनेताओं के बयान आने लगे हैं. कई मुस्लिम धर्मगुरुओं ने इसका समर्थन तो कइयों ने इसका विरोध किया है.
UCC Bill Uttarakhand: उत्तराखंड विधानसभा में मंगलवार को समान नागरिक संहिता (UCC) विधेयक पेश कर दिया गया है. यूसीसी बिल पास होने के बाद अलग-अलग प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं. कई मुस्लिम धर्मगुरु यूसीसी के समर्थन में उतरे हैं. इसी क्रम में अलीगढ़ के मौलाना इब्राहिम हुसैन ने भी प्रतिक्रिया दी है. मौलाना चौधरी इब्राहिम हुसैन ने यूसीसी का स्वागत किया है. उन्होंने कहा कि उत्तराखंड के बाद अब यूपी समेत पूरे देश में जल्द से जल्द लागू होना चाहिए. इस बिल की बहुत जरूरत है. सभी के लिए कानून समान ना होने की वजह से बहुत नुकसान उठाना पड़ रहा है. इससे देश की जनता को बहुत बड़ा फायदा मिलेगा.
ऑल इंडिया मुस्लिम जमात के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने भी किया स्वागत
वहीं, बरेली के मौलाना व ऑल इंडिया मुस्लिम जमात के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना शाहबुद्दीन ने भी इस विधेयक का स्वागत किया है. उन्होंने कहा कि उत्तराखंड में यूसीसी लागू होने पर कोई आपत्ति नहीं है. मौलाना के मुताबिक, यूसीसी में शरीयत के उसूलों का हनन और समाज को तोड़ने वाले तथ्य नहीं होने चाहिए.
स्वामी अवधेशनंद गिरी ने लिव इन रिलेशनशिप का किया विरोध
जूना अखाड़े के महामंडलश्वर स्वामी अवधेशनंद गिरी जी ने यूसीसी को लेकर जी मीडिया से एक्सक्लूसिव बातचीत की. जिसमें उन्होंने उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आभार प्रकट किया. स्वामी अवधेशानंद गिरि जी ने कहा कि एक देश में एक कानून की प्रथा ही होनी चाहिए. हालांकि, इस दौरान उन्होंने कहा कि लिव इन रिलेशनशिप अनैतिक है इसका विरोध होना चाहिए.
यूसीसी आने पर नहीं, बिल्कुल समानता नहीं होगी: AIMPLB
वहीं, यूसीसी को लेकर ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (एआईएमपीएलबी) ने भी टिप्पणी की है. समान नागरिक संहिता (यूसीसी) विधेयक पर एआईएमपीएलबी के कार्यकारी सदस्य मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली ने सरकार से सवाल पूछे हैं. मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली ने कहा, "हमारा मानना है कि सभी कानूनों में समानता नहीं लाई जा सकती है. यदि आप किसी एक समाज को कानून से बाहर रखते हैं तो फिर यह कैसी समान नागरिक संहिता है. संविधान के मूल अधिकारों में से एक धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार भी है. हमारी राय है कि ऐसे किसी UCC की जरूरत नहीं है. विधानसभा में ड्राफ्ट पेश किया गया है और अब हमारी लीगल टीम इसका अध्ययन करेगी. इसके बाद हम आगे इस पर फैसला लेंगे. इस तरह राशिद फरंगी महली ने साफ किया कि मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड UCC को अदालत में चैलेंज देने की तैयारी कर रहा है.
एसटी हसन ने किया विरोध
समान नागरिक संहिता(UCC) उत्तराखंड 2024 विधेयक पर समाजवादी पार्टी के सांसद एसटी हसन ने कहा, ''मुसलमानों को क़ुरान पाक ने जो हिदायतें दी हैं अगर इसके ख़िलाफ कोई कानून बनता है, जैसे-हम 1400 साल से पैतृक संपत्ति में बेटी को हिस्सा दे रहे हैं, तो अगर इसके विरुद्ध काई क़ानून बनता है तो हम उसे मानने को तैयार नहीं हैं... अगर हमारी शरियत के क़ाननू से दूसरों को कोई परेशानी नहीं है तो इन्हें क्यों है? ये कब तक हिंदू-मुसलमान करके ध्रुवीकरण करते रहेंगे."
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