MS Swaminathan: नहीं रहे भारत में हरित क्रांति के जनक एमएस स्वामीनाथन, गेहूं-चावल से दूध तक देश की दिशा बदल दी.एम एस स्वामीनाथन को देश में हरित क्रांति का जनक माना जाता है. एक समय देश गेहूं, चावल जैसे खाद्यान्नों के लिए दूसरे देशों पर निर्भर था, लेकिन स्वामीनाथन की दूरदर्शी सोच ने कृषि क्षेत्र की दिशा बदल दी. भारत आज गेहूं, चावल जैसे खाद्यान्नों के मामले में आत्मनिर्भर हैं. पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश जैसे राज्यों में गेहूं चावल की बंपर पैदावार होती है.


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कृषि क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान की वजह से स्वामीनाथन को पद्म भूषण सम्मान से नवाजा जा चुका है.कृषि वैज्ञानिक एमएस स्वामीनाथन ने चेन्नई में सुबह 11.20 बजे अंतिम सांस ली. स्वामीनाथन का जन्म 7 अगस्त 1925 को हुआ था. स्वामीनाथन का असली नाम मनकोंबू संबासिवन स्वामिनाथन था. पीएम मोदी समेत देश की बड़ी हस्तियों ने उनके निधन पर शोक जताया है.


भारत चीन युद्ध के बाद जब देश सूखे अकाल जैसी स्थिति में खाद्यान्न संकट का सामना कर रहा था तो स्वामीनाथन ने मैक्सिको से उच्च गुणवत्ता वाले गेहूं के बीजों के संकरण के जरिये हाई क्वालिटी वाले सीड्स विकसित किए. इसके बाद तो गेहूं उत्पादन में भारत के पंजाब, हरियाणा जैसे राज्यों के किसानों ने बंपर पैदावार की. 


लाल बहादुर शास्त्री से लेकर इंदिरा गांधी के शासनकाल में हरित क्रांति ने देश में खाद्यान्न उत्पादन में आत्मनिर्भरता की ओर बड़ा कदम बढ़ाता ताकि देश की बढ़ती आबादी का पेट भरा जा सके. हरित क्रांति का नतीजा ही है कि 140 करोड़ आबादी वाला भारत आज 80 करोड़ लोगों को खाद्यान्न सुरक्षा कानून के तहत बेहद सस्ता अनाज उपलब्ध कराता है. कोरोना काल के भीषण संकट में प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के दौरान ये अनाज दोगुना कर दिया गया, फिर भी देश के खाद्यान्न भंडार खाली नहीं हुए. भारत ने दुनिया के अन्य देशों में गेहूं चावल और अन्य खाद्य पदार्थों का बंपर निर्यात भी किया.


भारत ही नहीं दुनिया में भी स्वामीनाथन ने ख्याति अर्जित की. लंदन की रॉयल सोसायटी के अलावा 14 शीर्ष विज्ञान परिषदों ने एमएस स्वामीनाथन को मानद सदस्य नियुक्त किया था. 


ये बड़े सम्मान मिले स्वामीनाथन को


1967- पद्म श्री
1972 -पद्म भूषण
1989-पद्म विभूषण



1971 में मैग्सेसे पुरस्कार


1986 में अल्बर्ट आइंस्टीन वर्ल्ड साइंस प्राइज


1987 में पहला विश्व खाद्य पुरस्कार भी मिला


1991 में अमेरिका का टाइलर पुरस्कार मिला


1994 में पर्यावरण तकनीक जापान का 'होंडा पुरस्कार'


1997 में फ्रांस का ऑर्डर दु मेरिट एग्रीकोल


1998 में बॉटेनिकल गार्डन का 'हेनरी शॉ मेडल'


1999 में 'वॉल्वो इंटरनेशनल एंवायरमेंट पुरस्कार'


1999 में ही 'यूनेस्को गांधी स्वर्ग पदक' से सम्मानित


 


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