गौतम बुद्ध नगर: प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी ने बीते शुक्रवार को अपने सरकारी आवास "7 लोक कल्याण मार्ग" पर टोक्यो पैरालंपिक 2020 (PM Modi Interaction with Tokyo 2020 Paralympions) में शामिल और मेडल जीतने वाले खिलाड़ियों की मेजबानी की. इस मुलाकात की वीडियो रिकॉर्डिंग पीएम मोदी ने रविवार सुबह 11 बजे अपने ट्विटर हैंडल पर शेयर किया. गौतम बुद्ध नगर के जिलाधिकारी (NOIDA DM Suhas LY) व पैरा-शटलर सुहास एलवाई भी प्रधानमंत्री के मेहमान बने. पीएम ने उन्हें बैडमिंटन स्पर्धा में सिल्वर मेडल जीतने के लिए बधाई दी. वहीं आइएएस सुहास ने प्रधानमंत्री से बातचीत में अपने बचपन के संघर्ष का जिक्र किया.


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सुहास एलवाई ने प्रधानमंत्री से कहा, "मेरी शिक्षा गांव से शुरू हुई थी और 3 बार मुझे स्कूल में एडमिशन नहीं दिया गया. जिंदगी के इस सफर में आज मुझे पैरालंपिक में सिल्वर मेडल जितकर आपके बगल में बैठने का सौभाग्य मिला है. आपके साथ यहां बैठकर बात करना भी मेरे लिए पैरालंपिक मेडल से कम नहीं है. मैं भगवान को धन्यवाद देना चाहता हूं. मेरे स्वर्गीत पिता जी कहा करते थे कि स्कूल में सीट नहीं मिली तो कोई बात नहीं. कभी न कभी तुम जिंदगी में कुछ करके दिखाना. आज मैं जब आपके बगल में बैठा हूं तो मुझे लगता है कि मेरे पिताजी को कहीं न कहीं खुशी मिल रही होगी. इसलिए मैं आज के दिन को बहुत भाग्यशाली दिन मानता हूं."



सुहास एलवाई ने प्रधानमंत्री मोदी से कहा, ''एशियन पैरा गेम्स 2018 में क्वार्टरफाइनल में मैं इंडोनेशियाई खिलाड़ी से हार गया था. इस बार सेमीफाइनल में वही खिलाड़ी मेरे सामने था. आपने टोक्यो जाने से पहले मुझसे कहा था कि सामने कौन है ये मत सोचना, सिर्फ अपना बेस्ट देना. आपकी प्रेरणा थी सर और भाग्य मेरे साथ था कि आज आपके सामने यह मेडल प्रदर्शित करने का मौका​ मिला है.'' इस पर प्रधानमंत्री ने कहा कि आप अपने विश्वास और पराक्रम के कारण यहां पर हैं, किसी की कृपा से नहीं हैं.'' सुहास एलवाई ने प्रधानमंत्री मोदी से कहा कि टोक्यो पैरालंपिक में जब वह भारतीय खिलाड़ियों से फोन पर बात करते थे, तो दूसरे देशों के प्रतिभागियों और अधिकारियों को विश्वास नहीं होता था, उन्हें आश्चर्य होता था कि भारत का प्रधानमंत्री अपने खिलाड़ियों को फोन करता है.


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इससे पहले सुहास एलवाई ने पैरालंपिक में सिल्वर मेडल ​जीतने के बाद जब मीडिया से बात की थी तो कहा था, ''यह गलतफहमी है कि खेल और पढ़ाई साथ-साथ नहीं हो सकती. बचपन से ही मैं दो घंटे खेलता था, खेल हमेशा से पढ़ाई के साथ मेरे जीवन का हिस्सा रहा है. समाज में गलतफहमी ही है कि खेल और पढ़ाई साथ में नहीं हो सकती. मैं माता पिता और समाज को बताना चाहूंगा कि यह तर्क भूल जाइये. आपका बच्चा दोनों में अच्छा कर सकता. 2016 में मैंने अपना पहला पेशेवर टूर्नामेंट खेला था जो बीजिंग में एशियाई चैम्पियनशिप में, जिसमें मुझे स्वर्ण पदक मिला था. मुझे लगता है कि वह पेशेवर बैडमिंटन के हिसाब से मेरे लिये टर्निंग पॉइंट था.'' कर्नाटक के हसन जिले में पैदा हुए सुहास लालिनाकेरे यथिराज राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान सूरतकल (National Institute of Technology Surathkal) से कम्प्यूटर साइंस एंड इंजीनियरिंग में ग्रेजुएट हैं. वह 2007 बैच के उत्तर प्रदेश कैडर के आइएएस अफसर हैं. वर्तमान में गौतम बुद्ध नगर जिलाधिकारी पद पर तैनात हैं.


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