Padma Awards 2024: पद्म पुरस्कारों का ऐलान, यूपी के बाबूराम यादव समेत 132 नामों की घोषणा, देखें लिस्ट
Padma Awards 2024: पद्म पुरस्कारों की घोषणा कर दी गई है. गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर इन 132 नामों का ऐलान किया है. इसमें उत्तर प्रदेश, बंगाल से लेकर पूर्वोत्तर क्षेत्र की बड़ी हस्तियां शामिल हैं.
Padma Awards List 2024: पद्म पुरस्कारों की घोषणा, गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर हुआ ऐलान गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर पद्म पुरस्कारों का ऐलान कर दिया गया है. पद्म विभूषण, पद्म भूषण पुरस्कार विजेताओं का भी ऐलान किया गया है. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 132 पद्म पुरस्कारों की घोषणा की है. इसमें 5 पद्म विभूषण, 17 पद्म भूषण और 110 पद्म श्री पुरस्कार शामिल हैं. यूपी के बाबूराम यादव को भी पद्मश्री पुरस्कार मिलेगा. बाबूराम कला(क्राफ्ट) के क्षेत्र में 6 दशक का अनुभव रखते हैं. अभिनेत्री वैजयंती माला के अलावा सुलभ इंटरनेशनल के बिंदेश्वर पाठक को मरणोपरांत पद्म विभूषण दिया जाएगा. अभिनेता मिथुन चक्रवर्ती, गायिका ऊषा उत्थुप को पद्म भूषण पुरस्कार मिलेगा.
विजेताओं में 30 से ज्यादा महिला हस्तियां हैं. लिस्ट में 8 विदेशी (NRI PIO)शामिल हैं. 9 हस्तियों को मरणोपरांत ये सम्मान दिया गया है. पद्म विभूषण से सम्मानित हस्तियों में पूर्व उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू और दक्षिण के अभिनेता चिरंजीवी शामिल हैं. पिछले साल राष्ट्रपति ने 106 पद्म पुरस्कारों को मंजूरी दी थी, इनमें 6 पद्म विभूषण, 9 पद्म भूषण और 91 पद्म श्री शामिल थे.
पद्म पुरस्कार के बड़े विजेता
पार्वती बरुआ
पार्वती असम के गौरीपुर इलाके के राजघराने से संबंधित हैं. बरुआ को बचपन से जानवरों से लगाव था. हाथियों से तो बहुत ज्यादा. पार्वती बरुआ पर कई लघु फिल्में बन चुकी हैं.
2. चामी मुर्मू
पद्म श्री विजेता चामी मुर्मू 28 साल में 28 हजार महिलाओं को रोजगार दे चुकी हैं. मुर्मू को नारी शक्ति पुरस्कार भी मिल चुका है. अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर तत्कालीन राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने सम्मानित किया था
3. जागेश्वर यादव
छत्तीसगढ़ के जशपुर के आदिवासी कल्याण कार्यकर्ता जागेश्वर यादव को सामाजिक कार्य में पद्म श्री मिलेगा. बिरहोर पहाड़ी कोरवा समाज के उत्थान के लिए जीवन समर्पित कर दिया.
गुरविंदर सिंह
गुरविंदर सिंह (Gurvinder Singh) दिव्यांग सोशल वर्कर हैं, जो सिरसा में बेसहारा अनाथ, बिछड़े औऱ दिव्यांगजनों कीमदद करते हैं.
सत्यनारायण बेलारी
चावल किसान सत्यनारायण (Sathyanarayana Beleri) केरल के कासरगोड से ताल्लुक रखते हैं. उन्होंने धान की 650 से ज्यादा पारंपरिक किस्मों को संरक्षित किया है.
संगथानकिमा
संगथानकिमा (Sangthankima) मिजोरम के आइजोल के सोशल वर्कर हैं, जो वहां सबसे बड़ा अनाथालय थुटक नुनपितु टीम (Thutak Nunpuitu Team) को चलाते हैं.
हेमचंद मांझी (Hemchand Manjhi)
पारंपरिक औषधि का केंद्र चलाने वाले हेमचंद मांझी नारायणपुर से ताल्लुक रखते हैं. वो पांच दशकों से किफायती दाम पर लोगों को दवाएं उपलब्ध कराते हैं. 15 साल की उम्र से वो काम कर रहे हैं.
दुखु माझी (Dukhu Majhi)
दुखु मांझी आदिवासी पर्यावरणविद हैं, जो बंगाल के पुरुलिया जिले के सिंदरी के रहने वाले हैं.
के चेल्लामल (K Chellammal):
आर्गेनिक खेती करने वाले दक्षिणी अंडमान के चेल्लामल 10 एकड़ में आर्गेनिक फार्मिंग से बड़ी कामयाबी पा चुके हैं.
यानुंग जमोह लेगो (Yanung Jamoh Lego)
लेगो ईस्ट सियांग से आते हैं और हर्बल मेडिसिन एक्सपर्ट हैं. वो 10 हजार से ज्यादा मरीजों की देखभाल करते हैं. उन्होंने एक लाख से ज्यादा लोगों को पारंपरिक औषधि के इस्तेमाल के बारे में शिक्षित किया है.
सोमन्ना (Somanna)
आदिवासी समाज कल्याण वर्कर सोमन्ना मैसुरु लगातार पिछले चार दशकों से जेनु कुरुबा समुदाय के लिए लगातार काम कर रहे हैं.
सर्वेश्वर बासुमतारी (Sarbeswar Basumatary)
आदिवासी किसान सर्वेश्वर चिरांग नारियल, संतरों, धान, लीची और मक्कों की विभिन्न प्रजातियों को विकसित कर खेती के तरीकों में बदलाव के लिए सुर्खियों में हैं.
प्रेमा धनराज (Prema Dhanraj)
प्लास्टिक सर्जन (Plastic surgeon) प्रेमा धनराज सोशल वर्कर भी हैं. वो तेजाब या अन्य चीजों से झुलसे मरीजों की देखभाल करते हैं. वो बर्न प्रिवेंशन, जागरूकता के साथ नीतिगत सुधार का कार्यक्रम भी चलाते हैं.
उदय विश्वनाथ देशपांडे (Uday Vishwanath Deshpande)
उदय विश्वनाथ देशपांडे अंतरराष्ट्रीय मलखंब कोच है, जो इस पारंपरिक खेल को दोबारा प्रचलन में लाने और लोकप्रिय बनाने के लिए काम करते रहे हैं.
यजदी मानेकशा इतालिया(Yazdi Maneksha Italia)
प्रसिद्ध माइक्रोबॉयोलॉजिस्ट याजदी ने रहस्यमयी बीमारी सिकल सेल एनीमिया कंट्रोल प्रोग्राम के विकास के लिए पहल की.
शांति देवी पासवान और शिवन पासवान (Shanti Devi Paswan & Shivan Paswan)
पासवान दंपति दुसाध समुदाय से आते हैं. दोनों ने सामाजिग ठप्पे को पीछे छोड़कर गोदना पेटिंग को लोकप्रिय बनाया है. अमेरिका, जापान, हांगकांग में 20 हजार से ज्यादा महिलाओं को ट्रेनिंग दी है.
रतन कहार (Ratan Kahar)
भादू फोक सिंगर रतन कहार बीरभूम जिले से आते हैं. वो पिछले 60 वर्षों से फोक म्यूजिक यानी लोक संगीत में नाम कमा रहे हैं.
अशोक कुमार बिस्वास (Ashok Kumar Biswas)
तिकुली पेंटर अशोक कुमार बिस्वास मौर्य काल की कला को पुनर्जीवित करने के लिए पिछले पांच दशक से प्रयास कर रहे हैं.
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