कौन थे बादशाह अकबर के नवरत्न और क्या थी उनकी उपाधि
मुगलकाल में अकबर सर्वाधिक और लोकप्रिय सुल्तान था. अकबर के शासन के दौरान मुगलई शासन में हिंदूओं को लेकर कई तरह के अहम बदलाव किये गये थे. जिसके लिए अकबर को अन्य सुल्तान की अपेक्षा महान शासक की उपाधि दी गई थी. आप सभी को याद होगा की जब आप स्कूल के समय में समाजिक विज्ञान की किताब पढ़ रहे थे, तो उसमें अकबर के नौ रत्नों का जिक्र आता था. ये वहीं नौ रत्न है, जो अकबर को धार्मिक, न्यायिक, आर्थिक और सामाजिक मामलों में सलाह देने का काम करते थे. ऐसे में आज हम आपको अकबर के नौ रत्नों के बारे में बताते हैं.
राजा बीरबल
राजा बीरबल का असली नाम महेशदास था. बीरबल नाम स्वंय अकबर ने उनको दी थी. बीरबल अकबर के बहुत प्रिय थे. बीरबल मुगल दरबार के महान कवि थे. वह संस्कृत फारसी और हिंदी भाषा के विद्वान थे. अकबर उन्हे सैन्य और प्रशासनिक सेवा का जिम्मेदारी हुए थे.
तानसेन
बादशाह अकबर के सबसे अजीज और शानदार संगीतकार थे. तानसेन हजरत मुहम्मद गौस के शिष्य थे. तानसेन को उनकी ध्रुपद रचनाओं के लिए याद किया जाता है. जिसमें कई प्रकार के राग रचे गये थे.
अबु फजल
अबु फजल की गिनती अकबर के बहुत खासमखास व्यक्तियों में होती थी. अबु फजल बहुत विद्वान आदमी थे. अकबरनामा और आईन-ए- अकबरी जैसे किताबों के लेखक थे. इन्होंने बाइबिल का फारसी अनुवाद भी किया था.
फैजी
फैजी का असली नाम शेख अबू अल-फ़ैज इब्ऱ मुबारक था. फैजी को बादशाह अकबर ने मलिक-उश- शुअरा के खिताब से नवाजा था. इनको दरबार का दरबारी कवि कहा जाता था. इन्होंने लीलावती का फारसी अनुवाद किया था.
राजा मान सिंह
राजा मान सिंह आमेर के राजा थे और उनके नवरत्नों में से एक थे. राजा मान सिंह अकबर के सेना के सेनापति थे. राजा मान सिंह हल्दीघाटी में महाराणा प्रताप के साथ युद्ध किया था.
राजा टोडर मल
अकबर के शासनकाल में राजा टोडर मल उनके वित्त मंत्री थे. उनकी इस विभाग में इतनी अच्छी पकड़ और दूरदर्शिता थी कि लोग आज भी उस समय उनके बनाए कुछ नियमों पर चलते हैं. मानक बाट, माप , भूमि सर्वेक्षण और बंदोबस्त प्रणाली , राजस्व जिलों और अधिकारियों की शुरुआत की थी. पटवारी द्वारा रखरखाव की यह प्रणाली अभी भी भारत में बहुत फेमस है.
मुल्ला दो पियाजा
मुल्ला दो पियाजा बादशाह अकबर के मुख्य सलाहकार के तौर पर लंबे समय तक कार्य करते रहें
फकीर अजिआओदीन
अकबर के नवरत्नों में शामिल फकीर अजिआओदीन सूफी फकीर और अकबर के धार्मिक मामलों के मुख्य सलाहकार थे.
अब्दुल रहीम खान-ए-खाना
अकबर के सबसे भरोसे संरक्षक बैरम खान के पुत्र थे. वह उर्दू दोहे और ज्योतिष विद्या के लिए दरबार में जाने जाते थे. उन्होंने बाबर के संस्मरण में बाबरनामा लिखा था.