यूपी के इस जिले में भाई बहन का अनोखा मंदिर, रक्षाबंधन पर आशीर्वाद लेने उमड़ते हैं लोग

यूपी के बिजनौर में एक अनोखा मंदिर है. ये मंदिर भाई-बहन के अटूट प्यार का प्रतीक है. पढ़ें इस मंदिर का इतिहास.

प्रीति चौहान Sun, 18 Aug 2024-5:28 pm,
1/11

रक्षाबंधन 2024

रक्षाबंधन का पर्व भाई-बहन के प्यार (Raksha Bandhan 2024) और उनके अटूट रिश्ते का प्रतीक है. राखी  के त्योहार का अपना अलग ही महत्व है. इस दिन बहनें अपने भाइयों की कलाई में राखी बांधती हैं और भाई बहनों की रक्षा का वचन देते हैं. 

 

2/11

भाई-बहन का मंदिर

वैसे तो देशभर में गांवों के बाहर ग्राम देवताओं के थले और मंदिर देखने को मिल जाएंगे, लेकिन भाई-बहन का मंदिर शायद अकेला ही है. भाई-बहन के प्रेम का प्रतीक एक मंदिर उत्तर प्रदेश के बिजनौर में भी हैं. इस मंदिर को भाई बहन का मंदिर बोला जाता है.

 

3/11

बिजनौर में है मंदिर

ये मंदिर हल्दौर(बिजनौर)चुड़ियाखेड़ा के जंगल में बना है. ये मंदिर भाई-बहन के प्यार का प्रतीक है.  सदियों से भाई-बहन के मंदिर में पूजा अर्चना होती चली आ रही है.ये मंदिर सतयुग काल से जुड़ा बताया जाता है.

 

4/11

मनोकामना पूर्ण शक्ति पीठ मंदिर

चुड़ियाखेड़ा के जंगल में एक अति प्राचीन सर्व मनोकामना पूर्ण शक्ति पीठ मंदिर है.  इस मंदिर में भाई बहन की देवी- देवता के रूप में शिला विराजमान हैं.  हालांकि मंदिर में अन्य कई देवी-देवताओं की मूर्तियां भी स्थापित हैं. क्षेत्रीय लोग इस मंदिर में अटूट आस्था रखते हैं.

 

5/11

बहन को ससुराल से ला रहा था भाई

स्थानीय लोगों के मुताबिक और किंवदंती के अनुसार सतयुग के दौरान एक भाई अपनी बहन को उसकी ससुराल से लेकर घर लौट रहा था.  चिड़ियाखेड़ा के पास डाकुओं ने बहन भाई को जबरन रोक लिया.

 

6/11

पत्थर की शिला में बदल गए भाई बहन

स्थानीय लोगों के मुताबिक और किंवदंती के अनुसार डाकुओं से घिरने के बाद बहन की इज्जत बचाने के लिए भाई ने ईश्वर से प्रार्थना की थी. जिस पर दोनों भाई-बहन पत्थर की शिला में बदल गए थे. भैयादूज और रक्षाबंधन के मौके पर स्थानीय लोग इस मंदिर की कहानी सुनाते नजर आते हैं.

 

7/11

भाई-बहन की दोनों मूर्तियां मंदिर में विराजमान

डाकुओं ने बहन भाई के साथ गलत व्यवहार और बदसलूकी करने की कोशिश की. भाई ने डाकुओं से अपनी बहन को बचाने के लिए ईश्वर से प्रार्थना की और खुद को पत्थर में परिवर्तित करा लिया. ऐसा कहा जाता है कि तब से अब तक भाई-बहन की दोनों मूर्तियां पत्थर के रूप में मंदिर में विराजमान हैं.

 

8/11

आषाढ़ की पूर्णिमा को भंडारा

भाई-बहन की मूर्तियां सतयुग के काल की बताई जाती हैं. मंदिर में हर साल आषाढ़ मास की गुरु पूर्णिमा को भंडारे का आयोजन होता है. हर महीने में शुक्ल पक्ष हर सोमवार को श्रद्धालु प्रसाद चढ़ाते हैं.रक्षाबंधन पर यहां पर मेला लगता है.

9/11

मिलता है दीर्घायु का आशीर्वाद

स्थानीय लोगों का कहना है कि जो भी इस मंदिर में माथा टेकता है और सच्चे मन से पूजा अर्चना करता है तो देव रूपी भाई बहन के आशीर्वाद से उनकी दीर्घायु होती है. 

 

10/11

नवविवाहित लेते हैं आशीर्वाद

नवविवाहित युगल विवाह के उपरांत भाई-बहन के मंदिर में जाकर पूजा अर्चना करते हैं. ऐसी मान्यता है कि सच्चे मन से की गई पूजा अर्चना से नए दंपती के जीवन में खुशहाली, प्रगति का आशीर्वाद मिलता है. लोग यहां इनका दर्शन करने कि लिए आते हैं.

 

11/11

Disclaimer

इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है. सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक पहुंचाई गई हैं. हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है. इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी. ZEE UPUK इसकी जिम्मेदारी नहीं लेगा. 

 

ZEENEWS TRENDING STORIES

By continuing to use the site, you agree to the use of cookies. You can find out more by Tapping this link