Fact Check: प्रेमानंद जी महाराज के निधन की खबरें सोशल मीडिया में छाईं तो भक्तों का लगा मेला, फैक्ट चेक में सामने आया सच
Premanand ji Maharaj Death Viral News Fact Check: सोशल मीडिया पर प्रेमानंद महाराज के निधन की अफवाह आग की तरह फैल गई. जिसके बाद उनको मानने वाले लोग दुखी हो गए. आइए जानते हैं इस वायरल पोस्ट की सच्चाई क्या है.
Premanand ji Maharaj Death Viral News Fact Check: वृंदावन के प्रसिद्ध संत श्री हित प्रेमानंद जी महाराज राधा रानी के परम भक्तों में से एक हैं. उनके सत्संग में देश की चर्चित हस्तियां भी हिस्सा लेती नजर आती हैं. यूट्यूब हो या फेसबुक और इंस्टाग्राम लगभग हर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर उनके वीडियो वायरल होते रहते हैं, लेकिन बीते रविवार से उनके भक्त तब हैरान रह गए जब सोशल मीडिया पर उनके निधन की अफवाह आग की तरह फैल गई. जिसके बाद उनको मानने वाले लोग दुखी हो गए. भक्त जानकारी लेने के लिए उनके आश्रम के बाहर भी इक्ट्ठा होना शुरू हो गए. आइए जानते हैं इस वायरल पोस्ट की सच्चाई क्या है.
सत्यम सिंह कनौजिया नाम के ट्विटर हैंडल ने ट्विटर पर पोस्ट करते हुए लिखा, ''बेहद ही दुःखद खबर हम सब के लिए। पूजनीय प्रेमानंद जी महाराज ने आज दुनिया को अलविदा कह दिया. परमात्मा उनकी पुण्य आत्मा को चरणों में स्थान दे. ॐ शांति! शत शत नमन.''
कृष्ण राज नाम के यूजर ने ट्विटर हैंडल से प्रेमानंद महाराज के निधन की बात कहते हए लिखा, ''दुखद समाचार, प्रेमानंद जी महाराज ने आज दुनिया को अलविदा कह दिया. परमात्मा उनकी पुण्य आत्मा को चरणों में स्थान दे. ॐ शांति .. शत शत नमन.''
ट्विटर ही नहीं इंस्टाग्राम और फेसबुक पर भी उनके निधन की खबर को वायरल किया जाने लगा. कई लोगों ने तो इसको सच मानकर उनको श्रद्धांजलि देने लगे. लेकिन इसके बाद वृन्दावन स्थित ‘श्री हित राधा केलि कुँज परिकर’ आश्रम ने इसको लेकर बयान जारी किया. और साफ किया कि प्रेमानंद महाराज जी के निधन की वायरल खबर अफवाह है, महाराज जी एकदम स्वस्थ्य हैं. इसके साथ ही लोगों से निश्चिंत रहने और अफवाहों पर ध्यान न देने की बात कही.
कौन हैं प्रेमानंद जी महाराज
प्रेमानंद जी महाराज का जन्म यूपी के कानपुर जिले के सरसों गांव में ब्राम्हण परिवार में हुआ था. उनको नाम अनिरुद्ध कुमार पांडे था. इनके माता-पिता साधु-संतों की सेवा करते थे और आदर सत्कार भी करते थे. प्रेमानंद महाराज जी ने भी आध्यात्म का रास्ता चुन लिया और श्री कृष्ण गोविंद हरे मुरारी का जप करना शुरू कर दिया. इसी के साथ उन्होने अपना घर त्याग दिया. कहा जाता है कि भोलेनाथ ने स्वंय प्रेमानंद जी को दर्शन दिए और उसके बाद वो वृंदावन आए.