मथुरा/कन्हैया लाल शर्मा:श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के बाद मथुरा में शनिवार को फिर से जश्न की तैयारी हो रही है. मथुरा में राधा रानी की जन्म उत्सव की तैयारी जोरों पर है. ब्रज में जोरशोर से हर मंदिर को सजाया गया है. शनिवार को राधा रानी अपने गांव बरसाना में जन्म लेंगी. बृजभान दुलारी के स्वागत के लिए सभी भक्त और बृजवासी अपनी पलकें बिछाए हुए हैं. पूरे बरसाने को दुल्हन की तरह सजाया गया है. हर कोई अपनी आराध्या राधा रानी की एक झलक पाने को आतुर है. सुबह राधा रानी 4:00 बजे लाडली जो मंदिर में जन्म लेंगी.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

बरसाना में रंग बिरंगी रोशनी में पूरा राधा रानी का गांव झिलमिल रहा है. पुलिस प्रशासन की टीम सुरक्षा व्यवस्था के लिए तैनात की गई है. जोन सेक्टरों में मेला क्षेत्र को बांटा गया है.


राधा अष्टमी का व्रत श्री कृष्ण जन्माष्टमी के बाद  आता है. बरसाना समेत हर जगह को राधा रानी के जन्मोत्सव के तौर मनाया जाता है. श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के 15 दिन बाद राधा अष्टमी का त्योहार मनाया जाता है. भादौ मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को राधा रानी का जन्म माना जाता है. जन्माष्टमी की तरह राधा अष्टमी को व्रत रखा जाता ह. राधा और कृष्ण की पूजा अर्चना होती है. 


पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, जब राधा स्वर्ग लोक से कहीं बाहर गई थीं, तभी श्रीकृष्ण विरजा नाम की सखी के साथ रास लीला कर रहे थे. जब राधारानी ने यह देखा तो क्रोधित हो गईं और व‍िरजा का अपमान कर द‍िया. आहत व‍िरजा नदी की तरह बहने लगी. राधा के व्‍यवहार पर श्री कृष्ण के मित्र सुदामा को गुस्सा आ गया और वह राधा से क्रोधित हो गए.


नाराज राधा ने सुदामा को दैत्य कुल में जन्म लेने का शाप दे दिया. सुदामा ने भी राधा को मनुष्य योनि में जन्म लेने का शाप दिया. इस वजह से सुदामा शंखचूड़ नामक दानव बने और उनका वध भगवान शिवशंकर ने किया. शाप की वजह से राधा मनुष्य के रूप में जन्म लेकर पृथ्वी पर आईं. उन्हें भगवान श्री कृष्ण का वियोग सहना पड़ा.