Republic Day 2024: 26 जनवरी 1950 को भारत का संविधान लागू हुआ था और भारत एक लोकतांत्रिक व संवैधानिक राष्ट्र बना था.यही वजह है कि हर साल इस खास दिन की याद में 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस मनाया जाता है. यह दिन हर भारतीय के लिए खास होता है. इस साल देश 75वां गणतंत्र दिवस मनाने जा रहा है. गणतंत्र दिवस के मौके पर हर साल इंडिया गेट से लेकर राष्ट्रपति भवन तक राजपथ पर भव्य परेड का आयोजन होता है. 26 जनवरी को राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली (National Capital Delhi) में राजपथ पर सांस्कृतिक विविधता में एकता, अखंडता, सैन्य ताकत की झलक देखने को मिलती है.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

1906: पहला राष्ट्रीय ध्वज
भारत का पहला राष्‍ट्रीय ध्‍वज 7 अगस्‍त 1906 को पारसी बागान चौक (ग्रीन पार्क) कोलकाता में फहराया गया था. इस ध्‍वज को लाल, पीले और हरे रंग की क्षैतिज पट्टियों से बनाया गया था. इसमें ऊपर हरा, बीच में पीला और नीचे लाल रंग था. इसके साथ ही इस ध्वज में कमल के फूल और चांद-सूरज भी बने थे.


1907: दूसरा राष्ट्रीय ध्वज
भारत का पहला गैर आधिकारिक ध्वज ज्यादा समय तक नहीं रहा और इंडिया को अगले ही साल नया राष्ट्र ध्वज मिला. दूसरा राष्ट्रीय ध्वज पेरिस में मैडम कामा और 1907 में उनके साथ निर्वासित किए गए कुछ क्रांतिकारियों द्वारा फहराया गया था. (इस घटना के साल के बारे में संशय है) यह भी पहले ध्‍वज के जैसा ही था. इस राष्ट्रध्वज में भी चांद-सितारे थे. इसमें तीन रंग केसरिया, हरा और पीला था. बाद में इसे एक सम्मलेन के दौरान बर्लिन में भी फहराया गया था.


1917: तीसरा राष्ट्रीय झंडा
तीसरा झंडा, 1917 में आया. डॉ. एनी बीसेंट और लोकमान्‍य तिलक ने घरेलू शासन आंदोलन के दौरान इस झंडे को फहराया. इस झंडे में 5 लाल और 4 हरी क्षैतिज पट्टियां एक के बाद एक और सप्‍तऋषि के अभिविन्‍यास में इस पर 7 सितारे बने हुए थे. वहीं, बांई ओर ऊपरी किनारे पर (खंभे की ओर) यूनियन जैक था. एक कोने में सफेद अर्धचंद्र और सितारा भी था.


1921: चौथा राष्ट्रीय ध्वज
चौथा राष्ट्रीय ध्वज, अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के सत्र के दौरान आंध्र प्रदेश के एक युवक ने झंडा बनाया और गांधी जी को दिया. यह कार्यक्रम साल 1921 में बेजवाड़ा (अब विजयवाड़ा) में किया गया था. यह दो रंगों का बना हुआ था. लाल और हरा रंग जो दो मुख्य समुदायों अर्थात हिन्‍दू और मुस्लिम का प्रतिनिधित्‍व करता है. गांधी जी ने सुझाव दिया कि भारत के शेष समुदाय का प्रतिनिधित्‍व करने के लिए इसमें एक सफेद पट्टी और राष्‍ट्र की प्रगति का संकेत देने के लिए एक चलता हुआ चरखा होना चाहिए.


1931:पांचवा राष्ट्रीय ध्वज
1921 में बना भारत का चौथा राष्ट्र ध्वज 10 सालों तक अस्तित्व में रहा. 1931 में हिंदुस्तान को एक बार फिर नया राष्ट्रध्वज मिला. चौथे राष्ट्रध्वज की तरह ही पांचवे राष्ट्रध्वज में भी चरखा महत्वपूर्ण  रहा. हालांकि रंगों में इस बार बदलाव हुआ. चरखा के साथ ही केसरिया, सफ़ेद और हरे रंग का संगम रहा. इंडियन नेशनल कांग्रेस (आईएनसी) ने औपचारिक रूप से इस ध्वज को अपनाया था.


1947: आजादी और तिरंगा
1931 के इस झंडे के बीच में चरखे की जगह चक्र रखा गया, जो आज भी वही है. 22 जुलाई 1947 को राजेंद्र प्रसाद की अगुआई में गठित कमिटी ने स्वतंत्र भारत के राष्ट्रीय ध्वज को मान्यता दी.  इस झंडे में तीन रंग केसरिया, हरा और सफेद बरकरार था. चरखे की जगह पर सम्राट अशोक के धर्मचक्र को रिप्लेस किया गया था.  इस तरह से स्वतंत्र भारत को उसका राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा मिला.


ये तिरंगा भी महत्वपूर्ण
इसी के बीच एक महत्वपूर्ण झंडा और है जिसका जिक्र लगभग न के बराबर है. यह वो झंडा है जो सुभाष चंद्र बोस ने जर्मनी में भारतीय रीजन बनाने के बाद फहराया था. उस तिरंगे में भी ऊपर केसरिया, बीच में सफेद, नीचे हरा और बीच में एक टाइगर मौजूद था. यह एक बहुत ही महत्वपूर्ण झंडा है.


पहले अलग था तिरंगा?
हमारे देश का राष्ट्रीय ध्वज को इस रूप में पहुंचने के लिए कई दौर से गुजरना पड़ा. यह राष्ट्र में राजनैतिक विकास को दर्शाता है. हमारे तिरंगे के विकास में कुछ ऐतिहासिक पड़ाव भी आए. 


Republic Day 2024: गणतंत्र दिवस के लिए क्यों चुनी गई 26 जनवरी की तारीख, जानें भारतीय संविधान से जुड़ी रोचक बातें