हरिद्वार: इस कोरोना काल में हमने कई तस्वीरें देखीं, जिसमें लोग अपने प्रयासों से दूसरों के लिए मददगार बने. हरिद्वार के जंगलों में रहने वाले नजाकत भी उन्ही में से एक हैं. दरअसल, उत्तराखंड के जंगलों में रहने वाले वन गुर्जर दूध बेचकर अपना जीवन यापन करते हैं. और ये काम ये बीते कई दशकों से करते आ रहे हैं. लेकिन इस बीच ये लोग शिक्षा से दूर रहे. जिसका खामियाजा वन गुर्जरों एवं उनके परिवार को आर्थिक तौर पर उठाना पड़ा. इस कोरोना संकट काल में इस समाज के एक युवा ने आने वाली पीढ़ियों को शिक्षित करने का निर्णय लिया. अब धीरे-धीरे ही सही, उसका यह प्रयास रंग लाने लगा है.


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बच्चों को बना रहे साक्षर
हरिद्वार की सबसे बड़ी ग्राम पंचायत गाजीवाली में वन गुर्जरों के कई परिवार रहते हैं. इनकी कुल आबादी 600 के करीब है. वन गुर्जर पूरी तरह से शाकाहारी होते हैं और बड़े पैमाने पर दूध बेचते हैं. हांलाकि, पढ़े-लिखे न होने का नुकसान इन्हें आर्थिक रूप से उठाना पड़ा. इनके पास आने वाले दूध के व्यापारी खुद हिसाब-किताब करते थे और निरक्षरता के चलते इनके साथ कई बार धोखा भी हुआ. मां-बाप के प्रयास से वन गुर्जर नज़ाकत अली ने हरिद्वार के एक डिग्री कॉलेज से इंग्लिश में एमए कर लिया और निर्णय लिया कि अपने समाज के बच्चों को साक्षर बनाएगा. बीते दो साल से चल रहे कोरोना संकट काल में नजाकत ने वन गुर्जरों के गांव-गांव जाकर बच्चों को प्राथमिक शिक्षा देने का काम शुरू किया. इस कार्य के लिए उसने खुद किताबें खरीदीं और बच्चों को बांटी.


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रंग ला रहा प्रयास
जिन वन गुर्जरों के बच्चे क-ख-ग या जोड़-घटाना तक नहीं जानते थे, अब वे बड़ों के न रहने पर दूध का हिसाब-किताब खुद कर लेते हैं. वे भी चाहते हैं कि पढ़ लिखकर आगे बढ़ें और विकास की मुख्य धारा में शामिल हों. वहीं, नजाकत चाहते हैं कि उनके इस प्रयास में समाज के अन्य लोग भी सामने आएं, ताकि बच्चों को अधिक से अधिक शिक्षित किया जा सके. 


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