कौन थे प्रमुख स्वामी महाराज, जिन्होंने अबू धामी में बनवा दिया पहला हिन्दू मंदिर
Abu Dhabi Hindu Temple: बोचासणवासी अक्षर पुरुषोत्तम स्वामी बीएपीएस संस्था स्वामीनारायण संप्रदाय की सबसे प्रमुख संस्था है. इस संस्था ने देश विदेश में अब तक 1200 हिन्दू मंदिर का निर्माण करा चुका है.
Abu Dhabi Hindu Temple: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने दो दिवसीय दौरे पर संयुक्त अरब अमीरात पहुंचे हैं. बुधवार को बसंत पंचमी पर पीएम नरेंद्र मोदी ने अबू धाबी में बने पहले हिन्दू मंदिर का उद्घाटन किया. दुबई-अबू धाबी शेख जायेद हाइवे पर अल रहबा के पास बने इस मंदिर का नाम बोचासनवासी श्री अक्षर पुरुषोत्तम स्वामीनारायण संस्था (BAPS) हिंदू मंदिर है. अबू धाबी में बने इस मंदिर को बीएपीएस संस्था के नेतृत्व में बनाया गया है. तो आइये जानते हैं मंदिर बनाने में किसका हाथ है.
कौन थे प्रमुख स्वामी?
दरअसल, बोचासणवासी अक्षर पुरुषोत्तम स्वामी बीएपीएस संस्था स्वामीनारायण संप्रदाय की सबसे प्रमुख संस्था है. इस संस्था ने देश विदेश में अब तक 1200 हिन्दू मंदिर का निर्माण करा चुका है. बहरीन व यूएई में भी इस संस्था ने स्वामीनारायण मंदिर का निर्माण कर भारतीय संस्कृति व हिंदू धर्म का प्रचार-प्रसार किया है. बोचासणवासी अक्षर पुरुषोत्तम स्वामी नारायण संस्था के प्रमुख प्रमुख स्वामी महाराज हैं. प्रमुख स्वामी स्वामी नारायण संप्रदाय के पांचवें गुरु थे.
वड़ोदरा में हुआ जन्म
जानकारी के मुताबिक, स्वामी प्रमुख का जन्म वड़ोदरा जिले की पादरा तहसील में स्थित चाणसद गांव में 7 दिसंबर 1921 को हुआ था. शुरुआती शिक्षा के बाद ही उन्होंने घर त्याग दिया था. साल 1940 में वह शास्त्री महाराज के शिष्य बन गए. शास्त्री महाराज के कहने पर उन्होंने नारायण स्वरूपदासजी के तौर पर अपना आध्यात्मिक सफर शुरू किया. धीरे-धीरे प्यार से इन्हें स्वामी प्रमुख के नाम से जाना जाने लगा.
दिल्ली का अक्षरधाम मंदिर भी बनवाया
29 साल की उम्र में साल 1950 को स्वामी प्रमुख को बोचासणवासी अक्षर पुरुषोत्तम स्वामीनारायण संस्था (बीएपीएस) का प्रमुख बना दिया गया. प्रमुख स्वामी महाराज 1971 में बीएपीएस के आध्यात्मिक प्रमुख बने और आजीवन रहे. अब तक उनकी संस्था देश-विदेश में करीब 1200 हिन्दू मंदिर का निर्माण करवा चुकी है. इनमें से 11 मंदिरों का निर्माण प्रमुख स्वामी के निर्देशन में ही हुआ. दिल्ली और अहमदाबाद में बना अक्षरधाम मंदिर प्रमुख स्वामी जी की देन है.