लखनऊ: बीते कुछ दिनों से ऐसी कई खबरें आई हैं जिसमें गंगा और यमुना नदी में लाशें उतराते मिली हैं. उत्तर प्रदेश के कानपुर, हमीरपुर जिलों में यमुना में, गाजीपुर में गंगा नदी में लाशें मिली हैं. वहीं बिहार में भी गंगा नदी में शव उतराते मिले हैं. मध्य प्रदेश के पन्ना में भी नदी में शव बहते मिले हैं. इन शवों के कोरोना संक्रमित होने की आशंका जताई गई है. 


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इसके बाद सवाल उठने लगा है कि क्या कोरोना संक्रमित शवों को नदी में फेंक दिए जाने से पानी भी संक्रमित हो जाएगा? इस पानी के संपर्क में आने वालों में भी कोरोना फैल सकता है? हिंदी अखबार 'दैनिक भास्कर' ने दिल्ली के राजीव गांधी सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल के डायरेक्टर डॉक्टर बीएल शेरवाल से इस संबंध में बातचीत कर एक रिपोर्ट प्रकाशित की है.


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अखबार ने डॉ. बीएल शेरवाल के हवाले से लिखा है कि अभी तक कोई ऐसा सबूत नहीं मिला है जिससे कहा जा सके कि पानी के जरिए भी कोरोना वायरस फैल सकता है. डॉ. बीएल शेरवाल ने ये जरूर कहा है कि नदी में शवों के बहाने से प्रदूषण फैलता है और पानी गंदा होता है. इस पानी पीने से लोगों में पेट से संबंधित कुछ दिक्कतें जरूर हो सकती हैं.


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डॉ. बीएल शेरवाल के मुताबिक तमाम स्टडी और रिसर्च से यही मालूम चला है कि कोरोना वायरस नाक और मुंह के जरिए शरीर में पहुंचता है. कोरोना वायरस 99% मामलों में नाक से शरीर में पहुंचता है, 1% केस में मुंह के जरिए. भारत सरकार के प्रिंसिपल साइंटिफिक एडवाइजर विजय राघवन का भी कहना यही है कि कोरोना वायरस के पानी में फैलने का कोई प्रमाण मौजूद नहीं है.


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