UP में 7 सीटों पर उपचुनाव की जंग, जानिए हर सीट का इतिहास, किस पार्टी से कौन मैदान में?
हालांकि इन सीटों पर जीत हार का सरकार पर कोई असर पड़ने वाला नहीं है, लेकिन इतना तो जरूर पता चलेगा कि मिशन 2022 के लिए जनता का मूड क्या कहता है? आइए एक नजर डालते हैं इन 7 सीटों की चुनावी चौसर पर...
नोएडा: उत्तर प्रदेश की 7 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव का ऐलान हो चुका है. 3 नवंबर को इन सभी सीटों पर वोटिंग होगी. इस चुनावी मुकाबले में सभी पार्टियों ने अपने-अपने उम्मीदवार मैदान में उतार दिए हैं. हालांकि इन सीटों पर जीत हार का सरकार पर कोई असर पड़ने वाला नहीं है, लेकिन इतना तो जरूर पता चलेगा कि मिशन 2022 के लिए जनता का मूड क्या कहता है? आइए एक नजर डालते हैं इन 7 सीटों की चुनावी चौसर पर...
बुलंदशहर विधानसभा सीट
इस सीट पर बीजेपी का कब्जा है. यहां से वीरेंद्र सिंह सिरोही लगातार दो बार विधायक रहे. उन्होंने बीएसपी के हाजी अलीम को हरा कर इस सीट पर कब्जा जमाया था. उनके निधन के बाद इस सीट पर उपचुनाव हो रहा है. बीजेपी ने उनकी पत्नी ऊषा सिरोही को पार्टी का उम्मीदवार बनाया है. उनका मुकाबला बीएसपी नेता और हाजी अलीम के भाई हाजी युनूस से होगा. कांग्रेस ने यहां से सुशील चौधरी को मैदान में उतारा है. रालोद के साथ गठबंधन होने के चलते सपा ने यहां से कोई उम्मीदवार नहीं उतारा, जबकि रालोद ने प्रवीण कुमार तेवतिया को टिकट दिया है.
नौगांवा सादात विधानसभा सीट
अमरोहा जिले की नौगांवा सादात विधानसभा सीट 2017 से बीजेपी के खाते में है. 2017 में यहां से बीजेपी नेता चेतन चौहान ने जीत दर्ज की थी. उनसे पहले समाजवादी पार्टी के अशफाक अली खान यहां से विधायक रहे थे. बीमारी की वजह से चेतन चौहान के निधन के बाद इस सीट पर उपचुनाव हो रहा है. बीजेपी ने चेतन चौहान की पत्नी संगीता चौहान को टिकट दिया है. सपा ने इस सीट पर सैय्यद जावेद अब्बास को मौका दिया है. बसपा के मोहम्मद फुरकान अहमद और कांग्रेस से कमलेश सिंह भी मैदान में हैं.
टूंडला विधानसभा सीट
फिरोजाबाद जिले की टूंडला विधानसभा सीट पर 2017 में बीजेपी ने कब्जा जमाया था. यहां से बीजेपी के एसपी सिंह बघेल ने जीत दर्ज की थी. 2019 में वो आगरा से सांसद चुने गए. तभी से ये सीट खाली है. बीजेपी ने यहां से प्रेम सिंह धनगर पर भरोसा जताया है, जबकि सपा ने महाराज सिंह धनगर को मौका दिया है. बसपा से संजीव चक और कांग्रेस से स्नेहलता बबली यहां से मैदान में हैं.
मल्हनी विधानसभा सीट
जौनपुर जिले की मल्हनी विधानसभा सीट पर 2017 के समाजवादी पार्टी के पारसनाथ यादव ने जीत दर्ज की थी. इसी साल जून में लंबी बीमारी के बाद उनका निधन हो गया था. समाजवादी पार्टी ने उनके बेटे लकी यादव को टिकट दिया है. बीजेपी ने यहां से मनोज सिंह को उम्मीदवार बनाया है, तो पूर्व सांसद धनंजय सिंह ने यहां से निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर दावा ठोंका है. बीएसपी ने जयप्रकाश दुबे और कांग्रेस ने राकेश कुमार मिश्रा इस सीट से उम्मीदवार बनाया है.
घाटमपुर विधानसभा सीट
कानपुर जिले की घाटमपुर विधानसभा सीट बीजेपी की मंत्री कमल रानी वरुण के निधन की वजह से खाली हुई है. बीजेपी ने इस सीट से उपेन्द्र पासवान को उम्मीदवार बनाया है. वहीं सपा ने इंद्रजीत कोरी और बसपा ने कुलदीप संखवार को मैदान में उतारा है. कांग्रेस ने कृपा शंकर को इस सीट से मौका दिया है.
बांगरमऊ विधानसभा सीट
उन्नाव जिले की बांगरमऊ सीट पर 2017 में बीजेपी के कुलदीप सिंह सेंगर ने जीत दर्ज की थी, लेकिन रेप का आरोप लगने के बाद उनकी सदस्यता रद्द कर दी गई. जिसकी वजह से इस सीट पर उप चुनाव हो रहा है. बीजेपी ने यहां से श्रीकांत कटियार को उम्मीदवार बनाया है. जबकि सपा ने इस सीट से सुरेश कुमार पाल और बसपा ने महेश पाल को मौका दिया है. कांग्रेस ने इस सीट से आरती बाजपेई को मौका दिया है.
देवरिया विधानसभा सीट
देवरिया विधानसभा सीट से साल 2017 में बीजेपी के टिकट पर जनमेजय सिंह ने जीत दर्ज की थी. वो इस सीट से लगातार दो बार विधायक रहे थे. कुछ समय पहले हुई उनकी मौत के बाद इस सीट पर उपचुनाव हो रहा है. बीजेपी ने यहां से सत्यप्रकाश मणि त्रिपाठी को उम्मीदवार बनाया है. हालांकि इस बात से खफा जनमेजय सिंह के बेटे अजय सिंह ने निर्दलीय के तौर पर अपना दावा ठोंक दिया है. सपा की ओर से यहां से ब्रह्माशंकर त्रिपाठी, बसपा की ओर से अभय मणि त्रिपाठी मैदान में हैं. वहीं कांग्रेस ने इस सीट से मुकुंद भाष्कर मणि त्रिपाठी को मैदान में उतारा है.
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