Almora Holi 2024: होली का त्योहार इस साल 25 मार्च को मनाया जा रहा है. महाशिवारात्री के बाद सभी लोग होली की तैयारी शुरू कर देते है. वैसे तो ब्रज की होली पूरे देश में मशहूर है. लेकिन उत्तराखंड में होने वाली सतराली होली भी अपने आप में अनोखी होती है. पहाड़ों में खड़ी होली का एक लोकप्रिय अंदाज रहा है. इसी परंपरा का पालन कर अल्मोड़ा क्षेत्र के सात गांवों सतराली की होली हर साल महाशिवरात्रि के दिन बाबा बागनाथ के दर पहुंचती है. और सबसे पहले बागनाथ मंदिर में अबीर गुलाल लगाकर होली की शुरुआत करते हैं. पर्वतीय क्षेत्र में होली गीत गायन का इतिहास 150 साल से भी अधिक पुराना है. 


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

बागनाथ मंदिर में महाशिवरात्रि पर अल्मोड़ा के सतराली की होली आती है. ये होली अंग्रेजों के जमाने से यहां आ रही है. लेकिन आजादी के कुछ समय बाद होल्यारों ने यहां आना बंद कर दिया था. करीब 55 साल बाद इन गावों के युवा पिछले पांच साल से होल्यार फिर शिवरात्रि पर आने लगे हैं. वर्षों पुरानी परंपरा को जिंदा रखने के लिए सतराली के सात गांवों के होल्यार शिवरात्रि को बाबा बागनाथ की नगरी पहुंचते हैं. ढोल, दमाऊ और मजीरे की थाप पर होली गायन शुरू किया जाता है. होल्यार जमकर खड़ी होली का आनंद लेते हैं. 


अबीर गुलाल उड़ा कर होली के शुरुवात का संकेत देते हैं. बता दें कि इसी दिन से पूरे पहाड़ में होली की शुरुआत हो जाती है. लेकिन कहीं ना कहीं गांवों से होते पलायन का भी असर इस होली पर पड़ा है. अब पहाड़ में ढोल दमाऊ की थाप व झाल के झंकार पर गूंजते गीत बीते जमाने की बात बनती जा रही है. लेकिन सतराली गांव के होल्यार जिस उमंग और उत्साह से होली गायन करते है उससे एक उम्मीद बनती है कि पहाड़ में जल्द ही होलीयां फिर से अपने पुराने अंदाज में नजर आएंगी.


यह भी पढ़े- Mahashivratri 2024: हरिद्वार से उत्तरकाशी तक महाशिवरात्रि की धूम, मंदिर में जलाभिषेक के लिए लगीं श्रद्धालुओं की लंबी कतारें